बाढ़ प्रबंधन का नायाब सूत्र दिया दसवीं के छात्र ने

जहानाबाद/मखदुमपुर । एक तरफ नदियों को जोड़कर कुशल जल प्रबंधन के लिए तमाम सरकारें मगजमारी कर रही है वहीं दूसरी ओर दसवीं कक्षा के छात्र ने अपने बूते एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया है अगर उसे अमल में लाया गया तो निश्चित तौर पर एक नयी क्रांति का सूत्रपात हो सकता है। मखदुमपुर प्रखंड अंतर्गत खलकोचक गांव निवासी नंदकिशोर प्रसाद शर्मा का पुत्र वेद निधि ने 'गागर में सागर' की कहावत को चरितार्थ करते हुए छोटी सी उम्र में ही नदियों को जोड़ने का कंसेप्ट दिया है। उससे बाढ़ और सुखाड़ की समस्या का समाधान तो होगा ही उससे छोटे स्तर पर जल विद्युत संयंत्र लगाकर बिजली उत्पादन करने, बड़े बांधों से होने वाले नुकसान से बचाव तथा नदी के पानी को लेकर राज्यों के बीच होने वाले विवाद से भी बचा जा सकेगा। उग्रवादी घटनाओं से त्रस्त मगध की धरती पर फसलें लहलहायेंगी और किसानों की अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ होगी। वेद निधि के इस प्रोजेक्ट को सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता रामतवकल सिंह ने भी सराहते हुए उसके सकारात्मक सोंच की तारिफ की और कहा कि सरकार भी नदियों को जोड़ कर सिंचाई के साधन को दुरुस्त करने पर विचार कर रही है। कड़ी मेहनत और लगन के पश्चात तैयार की गयी इस प्रोजेक्ट के लिए वेद निधि को 35वीं राज्य स्तरीय जवाहर लाल नेहरु बाल विकास प्रदर्शनी 2007-08 में द्वितीय पुरस्कार मिला। इसके उपरांत 15 से 19 जनवरी तक कलकत्ता में आयोजित पूर्वी भारत विज्ञान मेला 2008 में भी वह भाग लिया। जहां उसके प्रोजेक्ट की सराहना की गयी। काको प्रखंड के बढ़ौना गांव स्थित मामा ब्रजेश कुमार के घर रहकर वहीं उच्च विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे वेद निधि ने प्रयोग के तौर पर सर्वप्रथम सोन और फल्गु नदी को जोड़ने के लिए प्रदर्श तैयार किया। उसकी सोंच है कि सोन नदी का अनावश्यक पानी गंगा नदी में जाकर उतर बिहार में बाढ़ का संकट लाती है जिसपर सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च करनी पड़ती है। अगर सोन के पानी को कैनाल के माध्यम से फल्गु नदी में गिराया जाता है तो इससे बाढ़ की विभिषिका से तो बचा ही जा सकेगा साथ ही मगध की भूमि को सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी भी मिल सकेगा। उससे बिजली का भी उत्पादन हो सकेगा और भूमिगत जल के अत्याधिक क्षय को रोका जा सकेगा। इसके तहत सोन नदी के बिहार में प्रवेश करते ही सासाराम के आसपास से बोध गया के पास फल्गु नदी को कैनाल के माध्यम से जोड़ा जाए। कैनाल के उद्गम स्थल पर सोन नदी में चेक डैम और वाटर इलेक्ट्रीक प्लांट लगाकर जहां एक ओर बिजली उत्पादन की जा सकेगी वहीं पानी के धार को कैनाल की ओर मोड़ा भी जा सकेगा साथ ही सोन में छोटे-छोटे अवरोध खड़े किये जाएं ताकि अत्याधिक जल की अवस्था में सोन के जल को फल्गु की ओर मोड़ा जा सके। इसके बाद नहर एवं जल निकासी के अन्य रास्तों में भी गहरे कुएं बनाये जायें जिसे ताकि अतिरिक्त जल को भूमि के अंदर भेजा जा सके। फल्गु नदी में एक छोटा सा बांध बनाकर उसके जल को मुहाने नदी की ओर मोड़ दिया जाए। सोन में भी पानी की अधिकता को रोकने के लिए जल ग्रहण क्षेत्रों में भूमिगत जल को पुर्नसंधारण के लिए कुंए के निर्माण का कंसेप्ट दिया है।

Hindi India Water Portal

Issues