वर्तमान में जल संरक्षण आवश्यक : डीएम
गाजियाबाद, जिलाधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने कहा कि मानव जाति के बने रहने के लिए जल आवश्यक है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तेजी से बढ़ रहे औद्योगिकीकरण से जल प्रदूषित हो रहा है वहीं दूसरी तरफ वातावरण गर्म होने के कारण बरसात भी कम हो रही है। यदि आज ही शहर से लेकर गांव तक जल संरक्षण अभियान नहीं चलाया गया तो भविष्य अंधकारमय हो सकता है। श्री शुक्ला भूगर्भ जल दिवस पर आयोजित गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गाजियाबाद जिला गंगा-जमुना के मध्य में होने, नहरों के बावजूद जमीरी पानी का स्तर लगातार गिर रहा है। इससे स्थिति गंभीर हो रही है। जिले की सामान्य वर्षा 648.65 मिमी तथा बगैर मानसून की वर्षा 105.20 मिमी वार्षिक है। जिले में कुल 98154.45 हे.मी भूगर्भ जल उपलब्ध है जिसमें से 71903.36 हे.मी. भूजल का सिंचाई के लिए दोहन होता है। जिलाधिकारी ने कहा कि घरेलू और औद्योगिक उपयोग के लिए 25 वर्ष बाद 50128.68 हे.मी. भूजल की आवश्यकता होगी जबकि वर्तमान आवश्यकता 30808.29 हे.मी. है। 25 वर्ष बाद कुल 26251.09 हे.मी. जल सिंचाई के लिए मिल पाएगा। उन्होंने बताया कि जिले के आठ ब्लाकों में से लोनी व हापुड़ अभी सेमीक्रिटिकल स्थिति में हैं, जबकि शेष छह सुरक्षित स्थिति में हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोनी व रजापुर में प्रति वर्ष 10 से 20 सेमी भूजल में गिरावट आ रही है। अजय कुमार शुक्ला ने कहा कि जिले में सभी हैंडपंपों के सोख्ते बनाए जाएं, नहरों के आसपास के तालाबों को भरा जाए, सरकारी और गैर सरकारी 200 वर्ग मीटर वाले भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाये जाएं। इसका उल्लंघन करने वालों को दंडित किया जाए। उन्होंने जीडीए व नगर निगम को इस संबंध में अपने दायित्वों का निर्वहन करने को कहा। जिला विकास अधिकारी वाई.एन. उपाध्याय ने कहा कि जिले के सभी 1428 तालाबों का संरक्षण व पुनरुद्धार किया जा रहा है। जिला पंचायत राज अधिकारी वी.बी. सिंह ने बताया कि प्रधानों की तीन दिवसीय गोष्ठी में जल संरक्षण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। गोष्ठी में क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी के साथ ही जल निगम, लोनिवि, विद्युत विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।
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