हरियाणा के 45 खण्डों में भूजल स्तर तेजी से घट रहा है

करनाल, केन्द्रीय भूजल बोर्ड की उतरी पश्चिमी क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक सुशील गुप्ता ने आज कहा कि हरियाणा के 45 खण्डों में भूजल स्तर तेजी से घट रहा है ओर केन्द्र ने इन खण्डों को अतिशोषित क्षेत्र घोषित किया है। इनमें करनाल जिले के सभी छ: विकास खण्ड भी शामिल हैं। भविष्य में इन क्षेत्रों में पानी की भारी किल्लत हो सकती है। श्री गुप्ता आज यहां लघु सचिवालय में भूजल सूचना पुस्तिका के विमोचन अवसर पर अधिकारियों को सम्बोधित कर रहे थे। केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा प्रकाशित इस पुस्तिका का विमोचन जिलाधीश बी.एस.मलिक ने किया। पुस्तिका में करनाल जिले में भूजल स्तर की स्थिति और इसके नीचे जाने के खतरे से निपटने के उपायों पर चर्चा की गई। घटते भूजल स्तर पर चिन्ता व्यक्त करते हुए क्षेत्रीय निदेशक श्री गुप्ता ने कहा कि करनाल खण्ड को 2003 में भूजल के मामले में पहले ही डार्क एरिया अधिसूचित किया जा चुका है तथा शीघ्र ही 5 अन्य खण्डों को भी डार्क एरिया अधिसूचित कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऐसे क्षेत्रों में केन्द्रीय सरकारी एथारिटी की आज्ञा के बिना नए टयूववैल नही लगाए जा सकते। उन्होंने जिला प्रशासन को सुझाव दिया कि जिले में लगे सभी टयूववैलों का सर्वे करवाकर उन्हे रजिस्टर किया जाना चाहिए ताकि भूजल के प्रयोग की पूरी जानकारी बोर्ड को मिल सके। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि करनाल जिला यमुना नदी के किनारे है, इसलिए यहां यमुना के वर्षो के दिनों में आए अतिरिक्त पानी का प्रयोग किया जाना चाहिए और इस पानी को संरक्षित भी किया जा सकता है। जिलाधीश बी.एस.मलिक ने पानी की बचत पर बल देते हुए कहा कि भूजल के रीचार्ज के लिए जिले में हर सम्भव उपाय किए जायेगे। उन्होंने कहा कि सभी सरकारी भवनो, व्यवसायिक परिसरों में पानी के रीचार्ज के लिए प्लांट लगाए जायेंगे तथा 500 गज या इससे अधिक प्लाट धारकों को भी घर में रीचार्ज प्लांट लगाने को आवश्यक बनाया जाएगा। गांवों में भूजल को रीचार्ज करने के लिए जोहडों को गहरा किया जाएगा। उन्होंने पंचायत अधिकारियों को निर्देश दिए कि जोहडों को साफ करवाया जाए और उनमें पडा पोलिथीन निकलवाया जाए, क्योकिं पोलिथीन की वजह से पानी जमीन में नही समा सकता। उन्होंने जिले के किसानों से भी कहा कि वे फसल विविधिकरण को अपनाएं क्योंकि इनमें पानी का कम खर्च होता है। उन्होंने किसानों से कहा कि साठी धान ना लगाए ,इसमें पानी का खर्च बहुत अधिक होता है। श्री मलिक ने लोगों को आगाह किया कि भूजलस्तर इतना घट चुका है कि यह समस्या गम्भीर रूप धारण कर चुकी है। उन्होंने कृषि विभाग के उप निदेशक को जिले के टयूववैलों का सर्वे करने को कहा और इस कार्य के लिए उन्हे नोडल अधिकारी बनाया। उन्होंने राजस्व विभाग, पंचायत विभाग ,सिंचाई विभाग तथा नगरपालिका के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस कार्य में कृषि विभाग का सहयोग करें। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि वे अपने स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों में गिरते भूजल स्तर के प्रति लोगों को सचेत करें और इससे निपटने के तरीके बनाएं। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को इस कार्य में योगदान देना होगा ताकि आने वाली पीढियां पानी से वचिंत न रहे।

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