गंगा तीरे वालों को कैंसर का अभिशाप
मुंबई। अगर आप गंगा के तटीय इलाकों में रहते हैं तो आपके गाल ब्लाडर यानी पित्ताशय के कैंसर का मरीज होने की आशंका बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में इस तरह का कैंसर गंगा नदी के आस-पास के मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों में सबसे ज्यादा पाया गया है। यह नतीजा गंगा तट पर बसे उत्तर प्रदेश और बिहार के 19 गांवों में हाल में किए गए एक अध्ययन से सामने आया है।
यहां शुरू हुए इंटरनेशनल हेपैटो-पैनक्रिएटो-बिलिअरी एसोसिएशन [आईएचपीबी] के आठवें सम्मेलन में विशेषज्ञों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
आईएचपीबी और इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आफ पापुलेशन स्टडीज के विशेषज्ञों ने बिहार में वैशाली और पटना के ग्रामीण इलाकों तथा उत्तर प्रदेश में वाराणसी में किए गए अध्ययन में पाया कि प्रत्येक एक लाख की आबादी पर 20 से 25 लोग पित्ताशय के कैंसर के मरीज थे। इन लोगों के ऊतकों और बालों का अध्ययन किया गया तो इनमें कैडमियम, मरकरी और सीसा जैसे भारी तत्वों की मौजूदगी पाई गई। आस-पास मौजूद चमड़ा शोधन करने वाले कारखानों से निकलने वाले बेकार पदार्थो में इन तत्वों की मौजूदगी होती है। इंसानों में इन खतरनाक तत्वों की मौजूदगी की एक बड़ी वजह भी यही है।
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