यमुना के जहरीले पानी से घडि़यालों की मौत
नई दिल्ली। चंबल क्षेत्र के घड़ियालों के लिए बुरी तरह प्रदूषित यमुना नदी का जहरीला पानी जानलेवा साबित हो रहा है और इससे अब तक करीब 93 घड़ियाल दम तोड़ चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक घडि़याल विशेषज्ञ फ्रिट्ज हूचजेमेयर के मुताबिक यमुना के प्रदूषित जल में पली-बढ़ी एक खास तरह की मछली उत्तर प्रदेश के चंबल के घड़ियालों तक जहर पहुंचाने का जरिया बन रही है। हूचजेमेयर ने घडि़यालों की कब्रगाह बनते जा रहे उत्तर प्रदेश के चंबल क्षेत्र का दौरा किया और क्षेत्र से टिलिपिया नामक एक अफ्रीकी मछली को पकड़ा। उन्होंने टिलिपिया मछली की त्वचा में बेहद खतरनाक किस्म का जहर पाया।
हूचजेमेयर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चंबल के घड़ियाल बड़े चाव से इन मछलियों का सेवन करते हैं। मछली के जरिए विष घडि़यालों में पहुंच जाता है। विष इतना घातक होता है कि सीधे घडि़यालों की किडनी पर असर करता है जिसके कारण उनकी मौत हो जाती है।
टिलिपिया मछली में पाया जाने वाला यह विष कौन-सा है, इसकी पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। हालांकि हूचजेमेयर ने विष की जड़ यमुना के जहरीले पानी में खोजने पर जोर दिया है। उल्लेखनीय है कि पिछले दो माह में करीब 93 घड़ियालों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। घडि़यालों की अचानक मौत को देखते हुए जांच के लिए विशेषज्ञों का एक दल भेजा गया था। अधिकतर घडि़यालों की मौत उत्तर प्रदेश के हिस्से में पड़ने वाले चंबल इलाके में हुई।
विशेषज्ञों के मुताबिक मगरमच्छ जहर से बच जाते हैं क्योंकि वे मछली के आहार पर ही निर्भर नहीं हैं। मगरमच्छ मेंढक और दूसरी तरह की सुरक्षित मछलियों का सेवन भी करते हैं। जबकि घडि़याल टिलिपिया मछली को बेहद चाव से खाते हैं। इसलिए जहर की चपेट में अधिकतर घडि़याल ही आते हैं। उल्लेखनीय है कि घडि़याल लुप्तप्राय जीवों की सूची में शामिल प्रजाति है। इसलिए उनकी मौत को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है।