मंदाकिनी पर बांध, तबाह होगा चित्रकूट

चित्रकूट। टिहरी में पवित्र भागीरथी को बांधने का नतीजा सामने है। कानपुर, प्रयाग, काशी सरीखे नगरों की गंदगी से बदरंग गंगा इस लायक भी नहीं कि तीज-त्योहारों पर श्रद्धालु बेझिझक डुबकी लगाकर आचमन करें। तमाम शहरों के घाटों से धारा सूख गयी और दर्जनों नगर प्यास से बेहाल हैं। इस दुस्साहस की पुनरावृत्ति करते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने चित्रकूट की पवित्र नदी मंदाकिनी को बांधना शुरू कर दिया है। यह बांध पूरा हुआ तो निश्चय ही चित्रकूट में मंदाकिनी विलुप्त हो जायेगी। साथ ही बुंदेलखंड के दर्जनों गांव पेयजल के लिए तड़पेंगे, पाठा जलकल योजना भी सूख जायेगी। सैकड़ों गांव सिंचाई की समस्या से दो-चार होंगे। इस अनहोनी को टालने के लिए सीना तानकर खड़े हुए धर्मनगरी के साधु-संतों ने एलान किया है कि चाहे पोथी-पत्रा किनारे रखकर खून बहना पड़े, लेकिन मां जैसी मंदाकिनी के अस्तित्व पर आंच नहीं आने देंगे। साधु बिरादरी के इस आंदोलन में जनता-जनार्दन भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।
वनवास के दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की धर्मनगरी रही चित्रकूट का आध्यात्मिक महात्म्य है तो सिर्फ कामदगिरि पर्वत और कलकल बहती पवित्र मंदाकिनी के कारण। अलबत्ता मध्य प्रदेश सरकार ने सूबे में विकास की गंगा बहाने के इरादे से चित्रकूट की 'गंगा' को सिरसा वन क्षेत्र में स्फटिक शिला के करीब 14 फीट ऊंचा बांध बनाने का फैसला किया है। एमपी सरकार ने बीते साल दीपावली पर्व से चार दिन पहले बांध का निर्माण शुरू कराया था, लेकिन कतिपय कारणों से रोकना पड़ा। इसके बाद दिसंबर-07 को अंतिम सप्ताह में सिंचाई विभाग ने फिर बांध निर्माण शुरू कर दिया। अभी तक बांध की दीवार के लिए समतलीकरण का काम निबट चुका है, जल्द ही सीमेंट का प्लेटफार्म बनाया जायेगा।
पर्यावरणविदें के अनुसार यह बांध बना तो निश्चय ही चित्रकूट के करीब सौ गांवों में लोग बूंद-बूंद पानी को तरसेंगे। साथ ही एशिया की सबसे बड़ी पेयजल योजना 'पाठा जलकल' से जलापूर्ति भी ठप हो सकती है। संभव है कि बनकट लिफ्ट पंप कैनाल व बंधोइन डाइवर्जन नहर भी सूख जाये। जाहिर है बांध में पानी एकत्र करने के लिए जब-जब मंदाकिनी का प्रवाह रोका जायेगा, चित्रकूट से घाटों पर धारा सूख जायेगी। ऐसी स्थिति में चित्रकूट तथा आसपास के इलाकों में तबाही मचना तय है। पहले ही सूखे से झुलसे बुंदेलखंड में यह त्रासदी और गजब ढायेगी।
उधर मंदाकिनी के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडराते देखकर चित्रकूट की संत बिरादरी ने मोर्चा खोलते हुए हुंकार भरी है कि कुछ भी कीमत चुकानी पड़े, लेकिन पवित्र नदी से वैसा खिलवाड़ नहीं होने देंगे, जैसा टिहरी में गंगा के साथ हुआ। बांध के विरोध में संतों के आंदोलन की कमान संभाले सनकादिक आश्रम के महंत सनकादिक महाराज कहते हैं कि सरकार को झुकना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि जिद्दी सरकार नहीं झुकी तो संत भी पीछे नहीं हटेंगे। दावा किया कि मंदाकिनी की रक्षा के लिए संत कुछ भी करने को तैयार हैं। कुछ भी यानी करो या फिर मरो। इसी तरह जनआस्था के प्रमुख केंद्र कामदगिरि प्रमुख द्वार के महंत ज्ञानदास महाराज ने कहा कि मां जैसी मंदाकिनी की ओर उठी बुरी निगाह को करार जवाब देने में साधु सक्षम हैं। यज्ञ वेदी के महंत रामदुलारे दास व रामानंद आश्रम के महंत बलरामदास ने कहा कि इस मसले पर संत बिरादरी कुत्सित इरादे सफल नहीं होने देगी।
निर्मोही अखाड़ा के महंत रामआसरे दास ने हुंकार भरते हुए यहां तक कहा कि बांध का निर्माण रुकवाने के लिए संतों को खून भी बहाना पड़ेगा तो पीछे हटने वाले नहीं। उन्होंने कहा कि मां मंदाकिनी हमारा जीवन है, इस पर आंच लगी तो संत चुप्पी साधकर पूजा-पाठ नहीं करते रहेंगे, बल्कि खून बहाने के लिए तत्पर दिखेंगे।
मंदाकिनी पर ग्रहण के नतीजे से साधु बिरादरी के साथ-साथ स्थानीय लोग भी अच्छी तरह वाफिक हैं, लिहाजा मध्य प्रदेश सरकार की विरुद्ध आंदोलन में संतों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। जनता का रुख देखकर राजनीतिज्ञ भी आंदोलन में दलगत सरहदों को लांघकर एकजुट खड़े हैं। सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजबहादुर सिंह यादव चित्रकूट जिला प्रशासन से बांध निर्माण रुकवाने को हस्तक्षेप करने के लिए कहा। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ यूपी के भाजपा नेता भी मुखर हैं। भाजपा जिलाध्यक्ष लवकुश चतुर्वेदी के नेतृत्व में पार्टी प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर बांध को रुकवाने की गुहार लगायी।
इस मसले पर पर्यावरणविदें का सुझाव है कि मध्य प्रदेश सरकार बांध बनाना ही चाहती है तो अनुसुइया आश्रम के आगे बनाये, इससे मंदाकिनी में जलस्तर भी बढ़ जायेगा और समूचे तीर्थक्षेत्र की वन संपदा भी सुरक्षित रहेगी।

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