सरस्वती के उद्गम स्थल में फूटे गर्म जल के स्त्रोत!

सोलन, जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर आदि बद्री क्षेत्र में स्थित सरस्वती नदी के उद्गम स्थल के निकट आदि बद्री व केदार नाथ मंदिर के पीछे एक पहाड़ी गिरने से वहां से गर्म पानी के स्त्रोत फूट पड़े है। यहां से निकल रहा पानी स्वाद में नमकीन व गर्म है। हैरत की बात तो यह है कि इसके पास ही बह रही नदी का पानी जहां एक दम ठंडा व मीठा है वहीं नमकीन व गर्म पानी के स्त्रोत निकलने से लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे है।
पहाड़ी गिरने की घटना दो दिन पूर्व की है। गर्म व नमकीन पानी के चर्चे दो दिन में ही जिले भर में फैलने के अलावा साथ लगते हिमाचल, उत्तर प्रदेश व उत्तरांचल में भी पहुंच गए जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस अजूबे को देख रहे है। धार्मिक आस्थाओं में विश्वास रखने वाले लोगों का मानना है कि यह गर्म पानी की धाराएं वासु धारा है तथा द्वापर युग कालीन है। दूसरी ओर आज कई टीमों ने इस स्थान का दौरा किया तथा यहां के सैंपल लेकर चंडीगढ़, दिल्ली व करनाल जांच के लिए भेजे गए है।
बताया जाता है कि यहां यमुनानगर जिला प्रशासन की टीम के साथ-साथ अंबाला व देहरादून से भी कुछ टीमें आई थी। उल्लेखनीय है कि आदि बद्री वह तीर्थ स्थान है जहां इसरो ने भी उपग्रह से प्राप्त चित्रों के आधार पर इसी क्षेत्र में सरस्वती का उद्गम स्थल माना है तथा उसके पश्चात ही वैज्ञानिकों ने गर्भ में छिपी सरस्वती की धारा को सरोवर तक पहुंचाया तथा सरस्वती नदी की खोज की। इसके अतिरिक्त यहां आदि बद्री नारायण का प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर है तथा पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल में सबसे पहले भगवान बद्री नारायण आदि बद्री के मंदिर में आए थे तथा ऋषि वेद व्यास ने इसी स्थान पर बैठक कर श्रीमद्भागवत पुराण की रचना की थी। इसके अतिरिक्त आदि शंकराचार्य जी ने संवत 1200 ईस्वी पूर्व इस स्थान की खोज की थी जिसके पश्चात इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इसके पूरब में केदार नाथ का मंदिर है तो उत्तर में मंत्रा देवी का मंदिर है।

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