लगातार घट रहे है भू-जल से पृथ्वी संकट मे : रघुनंदन

पानीपत, जागरण संवाद केंद्र

हरियाणा ज्ञान विज्ञान मंच व हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के संयुक्त तत्वाधान में पृथ्वी ग्रह के संकट पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में जिला स्तरीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में बोलते हुए दिल्ली साईस फोरम के वैज्ञानिक डा. डी रघुनंदन, ने कहा कि आज पृथ्वी पर बहुत बड़े संकट है, जिनमें जमीनी पानी व वायुमंडल संकट मुख्य तौर पर है। आबादी बढ़ रही है, लेकिन पैदावार करने वाली जमीन कम हो रही है। अंधाधुंध फर्टिलाइजर और कीटनाशकों के इस्तेमाल से वायुमंडल पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। भूमिगत जल निरंतर घटता जा रहा है। बड़े-बड़े मिनरल वाटर प्लांट लगाकर व्यवसाय के रूप में दोहन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आज पूरी पृथ्वी पर 70 प्रतिशत जल है, लेकिन इसमें से केवल 2.5 प्रतिशत ही पानी इस्तेमाल लायक है। वायुमंडल के संकट आज देखें तो इतनी जहरीली गैसें छोड़ी जा रही हैं कि ओजोन परत को खतरा बना हुआ है जो हमें सूर्य की तेज किरणों से बचाती है। इसके बाद भू-वैज्ञानिक सतीश कुमार ने कहा कि हमारी पृथ्वी का लगभग 4-5 करोड़ वर्ष का इतिहास है, जिस पर 10 छोटे-बड़े प्राकृतिक संकट या फेरबदल हुए है। यूरोपीय देशों में औद्योगिकरण के बाद पूरी दुनिया में परिवर्तन हुए है। कच्चे माल व बाजारों की जरूरतों के कारण पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हुआ। रेलवे का जाल बिछाया गया और उसमें इस्तेमाल लकड़ी के लिए जंगल काट दिए गए। निरंतर पेड़ों के कटने से तापमान में परिवर्तन हो रहे है। इस अवसर पर हरियाणा विज्ञान मंच के कार्यकारी सचिव एवं कार्यक्रम के राज्य संयोजक सतबीर नागल, मदन छौककर, सुरेश ढिंगड़ा, एनडी निर्मल, रणबीर सिंह, रमेश शर्मा, बलवान दहिया, सरोज गुप्ता मुख्य रूप से मौजूद थे। सेमिनार का संचालन जिला समन्वयक अजमेर चौहान ने किया।

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