मध्यप्रदेश के जलक्षेत्र में विश्व बैंक की परियोजनाएं

मध्यप्रदेश के जलक्षेत्र में सुधार हेतु एडीबी और विश्व बैंक के कर्जों से 2 परियोजनाएँ संचालित है। कर्जों की शर्तों के तहत इन वित्तीय एजेंसियों द्वारा थोपी गई अनावश्यक शर्तों का प्रभाव भी अब जल क्षेत्र में पड़ता दिखाई देने लगा है। अधिकारी और राजनेता भी अब वित्तीय एजेंसियों की भाषा बोलते नजर आ रहे हैं। पानी की बर्बादी रोकने के बहाने शुल्क वृध्दि को न्यायोचित ठहराया जा रहा है। इन परियोजनाओं के प्रभाव अब दिखाई देने प्रारंभ हो गए हैं। 'मंथन' द्वारा इन परियोजनाओं के क्रियांवयन और इनके प्रभावों पर निगरानी की जा रही है। इन परियोजनाओं का अब तक का संक्षिप्त अपडेट प्रस्तुत है।

मध्यप्रदेश शहरी जलापूर्ति एवं पर्यावरण सुधार योजना
मध्यप्रदेश को एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से 20 करोड़ डॉलर' (900 करोड़ रूपये) का कर्ज (क्र. IND - 32254) दिसंबर 2003 में स्वीकृत हुआ। इस कर्ज से ''मध्य प्रदेश शहरी जलापूर्ति एवं पर्यावरण सुधार परियोजना'' प्रारंभ की गई है जो सितंबर 2009 में पूरी होगी। कर्ज की प्रमुख शर्तों में सार्वजनिक नलों को समाप्त करना है। साथ ही जलदर एवं संपत्ति कर की वृध्दि, अन्य नये शुल्कों और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से जलप्रदाय व्यवस्था को लाभदायक बनाने की बात कही गई है। इस परियोजना भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर शहर शामिल हैं।
इंदौर नगरनिगम के प्रस्ताव क्रदृ 6ए दिनांक 16 मई 2006 के निम्न प्रावधानों से गरीबों के साथ-साथ आम मध्यम वर्ग के लिए भी पेयजल प्राप्त करना कठिन हो जायेगा।

सार्वजनिक नलों का खात्मा
• नया सार्वजनिक (बड़ा) नल कनेक्शन नहीं लगाया जाए।
• पहले से लगे सार्वजनिक नलों को उन लोगों के नाम पंजीबध्द किये जाएँ जिनके घरों के सामने ये नल लगे हैं। और इन्हीं लोगों के नाम से बिल जारी किये जाएँ।

जलदर वृध्दि
11 सितंबर 2006 से इंदौर नगरनिगम ने जलदर 90 से बढ़ाकर 150 रुपए/माह कर ही दी है। जलदर में वृध्दि का कारण जल क्षेत्र में राजस्व की कमी दर्शाया गया है।
• निगम के बजट प्रस्ताव दिनांक 16 मई 2006 के अनुसार जल कर नहीं चुकाने वालों के कनेक्शन काट दिए जाए और उन्हें बकाया राशि वसूलने के बाद भी पुन: बहाल न किया। उनसे पूरा कनेक्शन शुल्क 2,500 वसूलकर नया कनेक्शन दिया जाए। यह प्रावधान अभी लागू
होना शेष है।

कुएँ-बावड़ी से पानी लेने वालों से भी उगाही
निगम बजट प्रस्ताव दिनांक 16 मई 2006 में उन लोगों से भी वसूली का प्रस्ताव है जो नगरनिगम की सेवाएँ नहीं लेते। निजी कुओं, नलकूपों सहित अन्य स्रोतों से पानी लेने वाले ऐसे ' डॉलर-रुपया विनिमय दर कर्ज स्वीकृति के समय की है। नागरिकों से सामान्य घरेलू नल कनेक्शन के बराबर बिल वसूला जाना है। यह प्रावधान अभी लागू होना शेष है।
नये करों की शुरूआत
इंदौर नगरनिगम उन्हीं करों को लागू कर रहा है जो एडीबी कर्ज की शर्तों में शामिल हैं। वित्तीय वर्ष 2007.08 से कचरा प्रबंधन शुल्क भी प्रारंभ किया गया है। हालांकि अभी इसे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों तक ही सीमित रखा गया है जो कम से कम 1,000 रुपए/माह और अधिकतम 30,000 रुपए/माह होगा। इसे सभी परिवारों पर आरोपित किया जाएगा। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए
जल-मलनिकासी एवं स्वच्छता शुल्क पानी के बिल का 25 से 40: आरोपित किया जाएगा जबकि ठोस कचरे हेतु 30 रुपया प्रतिमाह अलग से लिया जायेगा।

निजीकरण की राह
इंदौर शहर के कुछ हिस्सों में सफाई व्यवस्था, कचरा संग्रहण और Under assessed Property ds Assessment का काम निजी एजेंसियों से करवाने का प्रस्ताव किया गया है। नगरनिकायों का एकीकरण- जून 2007 में प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री जयंत मलैया ने बताया कि प्रदेश के नगरीय निकायों को एक कर मेट्रोपोलिटन एरिया प्लानिंग एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ;ड।च्क्।ध्द के गठन की प्रक्रिया अंतिम चरणों में है। श्री मलैया के अनुसार मैपडा में नगर विकास प्राधिकरण, नगर निगम, नगर एवं ग्राम निवेश विभाग के साथ ही अन्य विकास एजेंसियों को मिलाने की योजना है। मैपडा को मास्टर प्लान से लेकर विकास के हर काम करने का अधिकार होगा।
मैपडा के राज्यस्तरीय अध्यक्ष मुख्यमंत्री होंगे और हर इकाई का अध्यक्ष कोई नेता होगा। बोर्ड में आसपास की ग्राम पंचायतों के सरपंचों को भी शामिल करने का कारण है कि इस ऐजेंडे को गाँव स्तर पर लागू करने में भी परेशानी न हो।

भाग - 1

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