सलाम कीचन

अभी-अभी डीडी न्यूज़ पर माइक पांडे का एक कार्यक्रम देखकर उठा हूं, अर्थ मैटर्स।
इसमें राजस्थान के एक गांव कीचन की कहानी दिखाई गई है जहां हर साल परदेस से डेमोसिन सारस आते हैं और तकरीबन छह महीने तक रहते हैं। डेमोसिन यानी कुरजा सारस पहले भी आते थे लेकिन बहुत कम संख्या में। अब तो हज़ारों की संख्या में आते हैं। गांव के लोग रोज पांच सौ किलो दाना इन परदेसी मेहमानों के लिये डालते हैं। गांव लगातार सूखे से जूझ रहा है लेकिन इन मेहमान परिंदों की खातिरदारी में कोई कमी नहीं आने देते हैं कीचन के लोग। इनके दाने के लिये अलग से गोदाम बनाया हुआ है इस गांव में। देश में तमाम इलाके ऐसे हैं जहां पहले इस तरह के मेहमान हर साल आया करते थे लेकिन फसलों को नुकसान पहुंचने के डर से अब वहां के किसान इनको ज़हर खिलाकर मार डालते हैं। लेकिन कीचन के किसानों की मेहमाननवाज़ी देखने लायक है। गांव में पानी की कमी है लेकिन गांव के दोनों किनारों पर बने तालाबों पर पहला हक इन परिंदों का रहता है पूरे छह महीने। गांव वालों की मेहमाननवाज़ी देखकर शिकारी भी इन परिंदों पर बुरी नज़र डालने की कोशिश नहीं करते हैं। सलाम कीचन।

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