नाले के पानी से प्रदूषित हुआ गंगा जल

बक्सर विश्वामित्र की तपोभूमि बक्सर के गंगा नदी के तट पर बसे होने का वेद पुराणों उल्लेख है। गंगा नदी में स्नान की महत्ता को देखते हुए प्रत्येक पर्व त्योहारों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जमा रहती है। वहीं नदी में नालियों का गंदा पानी व कूड़ा कचरा का बहना अनवरत जारी है। इससे बढ़ रहे प्रदूषण से गंगा दूषित हो रही है। आस्था के साथ इस खिलबाड़ पर किसी समाजसेवियों का ध्यान जा रहा है और न ही प्रशासन का। गंगा के तट पर बने घरों से नालियों का पानी गिरते रहता है। जहाजघाट व रामरेखा घाट के बीच नाले के पानी से नदी का जल बदरंग हो रहा है।<ङ्कक्चष्टक्त्ररुस्न>बताया जा रहा है कि ऐसे नाले नगर के कई जगह से नदी में गिर रहे हैं। बताते चलें कि गंगा नदी के तट पर नगर के बसे होने से दूरदराज के श्रद्धालु स्नान करने आते है। वहीं, नगर के एक स्थान पर नदी के उत्तरायण हो जाने से शवों के जलाने का विशेष महत्व है। नाले का गंदा पानी एवं कूड़ा-कचरा नदी में बेरोकटोक गिरने से जल प्रदूषण का खतरा मंडरा रहा है। आलम यह है कि सुअरों सहित आम लोग भी यत्र-तत्र गंदगी फैलाने में सहायक सिद्ध हो रहे है। वहीं शवों को पानी में बहा देने से जल प्रदूषण की समस्या गंभीर हो गयी है। इसी प्रदूषण के बीच हजारों नर-नारी पवित्र गंगा स्नान कर रहे है।

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