जहर बना सरसा नदी का पानी

नालागढ़ : पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लापरवाही के कारण औद्योगिक क्षेत्र बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ में दिन प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। बीबीएन के साथ लगती सरसा नदी जो एक लाख से ज्यादा आबादी वाले नालागढ़ उपमंडल की हजारों एकड़ भूमि को सिंचती थी। उसका पानी अब लोग पीना तो दूर छूने से भी कतराते हैं। बीबीएन में लगे करीब 2500 उद्योगों का रसायनयुक्त जहरीला पानी बीबीएन के किसानों की रीढ़ समझी जाने वाली सरसा नदी में गिर रहा है और इस जहरीले पानी से आए दिन मछलियों के मरने की घटनाएं घट रही हैं।
यहां के दवा उद्योग, धागा उद्योग व पेस्टीसाइड्स उद्योग बेरोकटोक अपने यहां प्रयोग में आने वाले रसायनों को सरसा नदी में डाल कर जहर घोल रहे हैं। सरसा में जहरीला पानी गिरने से यहां पर जीव जंतु लुप्त हो चुके हैं। यहां के किसानों ने सरसा नदी का पानी खेतों में फसलें सींचने के काम में लाना भी बंद कर दिया है। जानवर भी इस नदी का पानी पीकर बीमार हो रहे हैं। लोगों में भी सरसा के पानी से चर्म रोग की बीमारियां फैल रही हैं। प्रदूषण बोर्ड के सूत्रों के अनुसार बीबीएन औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण की मात्रा खतरे के पैमाने से काफी ऊपर है और यहां एसपीएम की मात्रा हर साल बढ़ रही है। बीबीएन की आबादी में एसपीएम की मात्रा छह सौ से ऊपर चली गई है जो दो सौ होनी चाहिए। इन क्षेत्रों में सांस लेना भी दूभर हो गया है। यहां के कुओं का भू-जल भी गंदा हो चुका है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिशासी अभियंता बृजभूषण ने माना कि सरसा का पानी 50 फीसदी से ज्यादा गंदा हो चुका है। भूषण ने कहा कि साफ पानी में दस फीसदी गंदा पानी खपाया जा सकता है। लेकिन यहां तो स्थिति उल्टी है। यहां सरसा में 60 फीसदी गंदा पानी गिर रहा है और 40 फीसदी पानी जल स्रोतों से है।

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