चीन विकास की दौड़ में पर्यावरण की उपेक्षा कर रहा है – पर्यावरणविद

चीनी शहर हार्बिन में जहरीले रासायनिक रिसाव के कारण पानी के प्रदूषित होने से यह साफ हो गया है कि चीन विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन उसके सामने पर्यावरण से जुड़ी विशाल चुनौतियां हैं ।

हार्बिन के निवासियों ने सोमवार को भी 5 दिन बाद मिले पानी को इस्तेमाल करने में सावधानी बरती । एक रासायनिक फैक्ट्री में विस्फोट होने के बाद नदी के पानी में 100 टन रसायनों का रिसाव हो गया था, जिसके बाद नल बंद कर दिये गए थे और शहर को पानी की आपूर्ति बंद कर दी गई थी ।
चीन में इस तरह की बहुत सी दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें से कुछ की जानकारी मिलती है और कुछ की नहीं मिलती । इन दुर्घटनाओं ने पर्यावरण संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को चिंतित किया है, जो पहले से ही देश की प्रदूषण संबंधी समस्याओं को लेकर परेशान हैं ।

ग्रीनपीस इंटरनेशनल के प्रवक्ता केविन मे का कहना है कि चीन में पूंजीनिवेशकों को पर्यावरण के निचले स्तर का पालन नहीं करना चाहिए । यह तर्कसंगत नहीं है, क्योंकि अंत में केवल बहुराष्ट्रीय कंपनियों को मुनाफा होता है, जबकि आम चीनी नागरिक पर्यावरण को होने वाले नुकसान का खामियाजा उठाता है, इसलिए अगर पर्यावरण के स्तर में गिरावट आई तो नुकसान हमारा ही होगा ।

हार्बिन के जल संकट के दौरान चीन की पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के उप मंत्री झांग लिजुन ने पत्रकारों को बताया था कि बीजिंग की 5-वर्षीय आर्थिक योजना में देश की प्रदूषण समस्याओं को हल करने की व्यवस्था की गई है ।
उन्होंने कहा कि चीन की पंचवर्षीय योजना में प्रदूषण बढ़ाने वाले कचरे को कम करने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं और चीन के आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले और लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाले पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को हल करने का प्रयास किया गया है ।
बीजिंग ने स्वीकार किया है कि वह पर्यावरण की बड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है । इस साल के शुरू में केंद्र सरकार की रिपोर्ट में कहा गया था कि देश की 7 बड़ी नदियों में से 5 गंभीर रूप से प्रदूषित हैं । चीन को विश्व में कार्बन डाय ऑक्साइड का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक माना जाता है ।

ग्रीनपीस इंटरनेशनल के प्रवक्ता श्री मे का कहना है कि समस्या केंद्र सरकार के नियमों की नहीं है बल्कि स्थानीय अधिकारियों की है, जो पर्यावरण के कानूनों का पालन नहीं करना चाहते, क्योंकि वे अल्पकालिक फायदे खोना नहीं चाहते ।

चीन को पर्यावरण में सुधार के लिए भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ेगी । हांगकांग में पॉलिटिकल एंड इकॉनोमिक रिस्क कंसल्टेंसी के निदेशक रॉबर्ड ब्रॉडफुट का कहना है कि उनकी पर्यावरण की समस्याएं इतनी गंभीर और व्यापक हैं कि वे एक साथ सबको हल नहीं कर सकते । इसलिए उन्हें प्राथमिकता तय करनी होगी । कई समस्याओं को हल करने में कई दशक लग सकते हैं ।

उन्होंने कहा कि चीन का मौजूदा बुनियादी ढांचा इस काबिल नहीं है कि आर्थिक वृद्धि के मौजूदा स्तर को कायम रख सके । बीजिंग को अंततः देश के पर्यावरण को सुरक्षित बनाने के लिए जरूरी खर्च को उठाना ही होगा ।
साभार- http://www.voanews.com

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