चीड़ फैलता गया तो नहीं बचेगा पहाड़ों पर पानी

पहाड़ की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार चीड़ अब अभिशाप बन गया है। फायर सीजन में जंगलों में आग लगने के साथ-साथ पेयजल संकट और भूमि की ऊर्वरा शक्ति कम होते जाने की जड़ में भी चीड़ है। इसके बावजूद प्रदेश के काफी बड़े हिस्से में इसके वन हैं। अलबत्ता,अब चीड़ का प्लानटेशन बंद कर दिया गया है और वन विभाग देवदार,बांज उत्तीस जैसे जल संवर्ध्दन वाले पौधे लगा रहा है। राज्य में उम्दा चीड़ वन सोनी(रानीखेत),गागर (भवाली रेंज)रूसी,मंगोली,खमलेख (बेरीनाग),नलैना (नैनीताल),पिथौरागढ़ वन प्रभाग,खनस्यू(ओखलकांडा) व गढ़वाल में टाँस वैली में है। पिंडर वैली में भी उम्दा चीड़ वन है। नैनीताल में किलबरी,विनायक मताल),मुक्तेश्वर,बिनसर,लोहाघाट,चंपावत,पहाड़पानी और मोरनीला में चीड़ के शानदार वन हैं।

चंपावत के स्थानीय वन प्रभाग के आधे हिस्से में चीड़ के पेड़ हैं। इनकी पत्तियों के गिरने से पशुओं के फिसलने के अलावा घास उगना भी बंद होता है जिससे ग्रामीणों के सामने चारे की समस्या भी पैदा हो रही है। पिछले दो दशक में पिथौरागढ़ जैसे सीमांत जिले में जितने भी नए वन विकसित हुए,उनमें चीड़ वनों की संख्या ज्यादा है। 1995 में मध्य हिमालय की पहाड़ियों में गर्मी के मौसम में भीषण आग की घटना के बाद हुए अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि जिन स्थानों पर चीड़ वन हैं, वहाँ आग ज्यादा है। जिले में ल,बेरीनाग,ओगला,अस्कोट,घाट,अल्मोड़ा,स्वाला,झूलाघाट आदि में चीड़ के घने वन हैं।

वानिकी एवं वन पंचायत संस्थान के उप निदेशक राजेन्द्र सिंह बिष्ट के मुताबिक चीड़ वनों में जो दावाग्नि लगती है वह मूलतः पिरूल में लगती है। बागेश्वर जिले के 70 प्रतिशत भूभाग में चीड़ के वन हैं। इससे जंगल के करीब के खेतों की उर्वरा शक्ति पर भी बुरा असर पड़ने लगा है। अल्मोड़ा जिले में भी चीड़ के जंगलों के प्रसार से पहाड़ में पानी लगातार कम हो रहा है। प्रख्यात पर्यावरणविद और मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह का मानना है कि चीड़ पानी रोकने के बजाय खुद पानी सोख लेता है जिससे जल स्रोत सूख रहे हैं। नेचुरल रिसोर्सेस डाटा मैनेजमेंट सिस्टम (एनआरडीएमएस) के प्रिंसिपल इंवेस्टिगेटर डा. जेएस रावत के मुताबिक जहां चीड़ होता है उस इलाके में भूमिगत जल रिचार्ज भी कम होता है। बांज तथा चौड़ी पत्ती के वनों में जहाँ बारिश का 23 प्रतिशत पानी रिचार्ज होता है वहीं चीड़ वन क्षेत्रों में सिर्फ 16 फीसद पानी रिचार्ज होता है। प्रमुख वन संरक्षक डा.बीएस बरफाल ने बताया कि राज्य में नए क्षेत्रों में चीड़ की जगह बांज और अन्य मिश्रित प्रजातियों के रोपण को तरजीह दी जी रही है।
अमर उजाला (देहरादून), 20 Jun. 2005

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