कितनी पवित्र बची है यमुना
कितनी पवित्र बची है यमुना
आगरा, 18 नवंबर (आईएएनएस)। उत्तर भारत में गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी यमुना जिसके किनारे बने ताजमहल की खूबसूरती और बढ़ जाती थी, आज इतनी प्रदूषित हो चुकी है कि न सिर्फ आगरा शहर बल्कि दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताज को भी इससे खतरा पैदा हो गया है।
वास्तुविदों और संरक्षणविदों ने इस नदी की दुर्दशा पर चिंता जताते हुए यह दावा किया है कि इससे ताज की नींव को नुकसान हो सकता है। मुगल वास्तुकला के जाने माने इतिहासकार प्रो. आर नाथ ने आईएएनएस को बताया कि यमुना सिमट कर एक नाला बन गई है। इसमें औद्योगिक अवशिष्ट से लेकर हर तरह की गंदगी बहाई जा रही है और इससे न केवल इंसानों के लिए खतरा पैदा हो गया है बल्कि ताजमहल को भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि यदि यहां की मौलिक पारिस्थितिकी को बहाल नहीं किया गया तो किसी दिन यह पूरा स्मारक जमीन में समा जाएगा या इसकी मीनारें खतरनाक रूप से झुक जाएंगी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एस. साहा का कहना है कि यमुना किसी भी लिहाज से नदी नहीं रह गई है।
पिछले सप्ताह ही तीन अलग अलग जगहों पर मरी हुई हजारों मछलियां नदीं में पानी की सतह पर दिखाई दे रही थीं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को तैलीय परत और औद्योगिक व रासायनिक अवशेष नदी में मिले थे।
ब्रज मंडल विरासत संरक्षण समिति के सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि यह ठीक है कि यमुना से हमारी धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई हैं लेकिन वर्तमान में इसकी हालत को देखते हुए इसे मौत की नदी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। - इंडे-एशियन न्यूज सर्विस