हर वर्ष बेकार हो रहा 36 अरब घन मीटर पानी

नई दिल्ली (एजेंसी)। देश में हर वर्ष 36 अरब घन मीटर पानी बेकार बह जाता है, जिसका उपयोग भूजल कृत्रिम पुनर्भरण के लिए किया जा सकता है। यह अनुमान जल संसाधन मंत्रालय के केंद्रीय भूजल बोर्ड ने देश में भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण के लिए मास्टर प्लान नाम से एक अवधारणा रिपोर्ट में व्यक्त किया गया है।
जल संसाधन मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार इस रिपोर्ट में भूजल भंडारों के कृत्रिम पुनर्भरण के लिये प्राथमिकता के आधार पर उन क्षेत्रों की पहचान की गई है, जहां इस योजना को अमल में लाकर पानी की कमी की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इस काम के लिए देश में 4 48760 वर्ग किलोमीटर ऐसी भूमि चिन्हित की गई है, जहां भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण की आवश्यकता है।
प्रवक्ता ने बताया कि रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि हर वर्ष 36453 मिलीयन घन मीटर पानी बेकार बह जाता है जिसका उपयोग भूजल कृत्रिम पुनर्भरण के लिए किया जा सकता है। इस मास्टर प्लान के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 19880 करोड़ रूपए की लागत से कृत्रिम पुनर्भरण के 2.25 लाख ढांचों का निर्माण किया जाएगा। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम में जल स्रोतों को विकसित किये जाने पर जोर दिया जाएगा। इसमें 2700 जल स्रोतों को विकसित और उन्हें सुदृढ करने का भी प्रस्ताव है। रिपोर्ट में शहरी क्षेत्रों में भूजल संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। भवनों की छतों पर गिरने वाले वर्षा जल संचयन का भी प्रस्ताव है।
इसके लिए जल को या तो सीधे जमीन के अंदर पहुंचाया जायेगा या फिर इसे विशेष बैंकों में एकत्र किया जाएगा। रिपोर्ट में यह भी अनुमान व्यक्त किया गया है कि देश में भवनों की छतों पर वर्षा जल संचय के 37 लाख ढांचों का निर्माण किया जा सकता है। इसकी अनुमानित लागत लगभग 4590 करोड़ रूपए होगी। वैसे इस मास्टर प्लान की कुल लागत 245 करोड़ रूपए है और इसका कार्यान्वयन चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा।

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