हिंडन में बढ़ते प्रदूषण से जल जीवन को खतरा

शरद तिवारी
हिंडन नदी में बढ़ता प्रदूषण और इससे जलीय जंतुओं की समाप्ति को पर्यावरणविंद् खतरनाक संकेत मान रहे हैं। हाल ही में हुए शोध के मुताबिक हिंडन के प्रदूषण पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में जलीय जीवन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। बता दें कि जलीय जीव जल प्रदूषण को नियंत्रिक करने के प्रमुख कारक भी हैं। सहारनपुर के कुलेसरा तक जाने वाली हिंडन में अन्य जीव जन्तुओं के अलावा मछलियों तक के अभाव ने पर्यावरणविंदों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। जल प्रदूषण पर शोध कर रही वैज्ञानिक डा. प्रसूम त्यागी के अनुसार जलीय जीवों का समाप्त होना इस क्षेत्र के लिए चिंताजनक है। वे बताती है कि अपने शोध के दौरान उन्होंने पाया कि हिंडन नदी में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से मछली, मेढक जैसी सामान्य प्रजातियां भी विलुप्त होती रही है। सहारनपुर से कुलेसरा तक सिर्फ की दूरी में छजारसी में मछलियों की कुछ प्रजातियां पाई गई हैं। वर्ष 2005 में अक्टूबर में हुए सहारनपुर के गगल हेरी से नदी में कुलेसरा तक में बायो मानीटरिंग की गई। टेक्सा प्रजाति की 25 टेक्सोनोकल फेमिली को आधार बनाकर किया गया। जिसमें कुलेमरा में लिबयुलिडी, नैपेडी, हाइग्रोबिंडी, हाइटीसिटी, हाइड्रोफ्लिडी की स्पीशिज पाई गई। छिजारसी में कोई स्पीशिज नहीं पाई गई।

मोहननगर बैराज पर नैपेडी, चिरोनोनिडी, ओलीगोकीटा की स्पीशिज पाई गई। डालूहेरा बागपत पर ओडोनिटा (ग्रुप टेक्सा) लिब्यूलिडी (हैमेप्टेरा) कोरेकसिडी, नैपेडी (कोलियोप्टेरा) की प्रजातियां पायी गई। बागपत के परनावा पर हैमेप्टेरा की नैपेडी डाइटीसिडी, हाइड्रोफिलिडी, डाइप्टेरा (चिरोनोनिडी) की प्रजातियां पाई गई। सहारनपुर के महेशपुर प्वाइंट पर नैपेडी, हैमेप्टेरा, डाइटीसिडी, हाइड्रोफिलिडी की स्पीशिज पाई गई। गगलहेरी पर हैमेप्टेरा, नैपडी हाइटीसिडी, हाइड्रोफिलिडी की स्पीशिज पाई गई। डा. त्यागी के मुताबिक छोटे-छोटे जीव जंतुओं के अलावा कहीं भी मछलियां व बड़े जलीय जंतुओं का नामोनिशान तक नहीं है। उन्होंने बताया कि यमुना एक्शन प्लान के अंतर्गत हिंडन नदी भी आती है। इस एक्शन प्लान के तहत करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मगर जब तक हिंडन नदी को प्रदूषण मुक्त नहीं बनाया जाएगा तब तक यमुना एक्शन प्लान को सफलता संभव नहीं है। डा. त्यागी का कहना है कि जलीय जीवन समाप्त होने का मुख्य कारण हिंडन नदी में शुगर मिल, पेपर मिल व भट्टे का अपशिष्ट पदार्थ के साथ मलमूत्र का विसर्जन किया जाना है। उनका दावा है कि हिंडन को प्रदूषण मुक्त न किया गया तो 10-12 वर्षों में हिंडन का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।
हिन्दुस्तान (देहरादून), 25 May, 2006

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