जलवायु परिवर्तन से दक्षिण एशिया में जल संकट का खतरा

नई दिल्ली, 16 नवंबर (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) ने चेताया है कि ग्लोबल वार्मिंग के परिणामस्वरूप दक्षिण एशिया के देशों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ सकती है।

आईपीसीसी शनिवार को स्पेन के वैलेंसिया में चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट की रूपरेखा पेश करेगी। एशिया क्षेत्र के लिए तैयार रूपरेखा में बताया गया है, ''आने वाले दो-तीन दशकों में हिमालयीय क्षेत्र में ग्लेशियर के पिघलने से जल स्तर बढ़ेगा और पहाड़ों के टूट कर गिरने से जल संसाधनों को नुकसान पहुंचेगा। इसके बाद की स्थिति भयावह होगी क्योंकि ग्लेशियर के पिघलने के बाद नदियों में जल की मात्रा कम होने लगेगी।''

ऐसी स्थिति में परिणाम खतरनाक हो सकते हैं, क्योंकि सर्वाधिक आबादी वाले दो देशों भारत और पाकिस्तान को अधिकांश मात्रा में पानी हिमालय क्षेत्र से ही मिलता है। आईपीसीसी ने संभावना व्यक्त की है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण केंद्रीय, दक्षिणी, पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया में ताजे पानी की किल्लत हो सकती है। विशेषकर बड़ी नदियों को इससे ज्यादा खतरा है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ''बढ़ती आबादी और रहन-सहन के तरीकों में बदलाव की वजह से 2050 तक एक अरब से अधिक आबादी पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। साथ ही, तटीय इलाकों, विशेषकर दक्षिणी, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया के डेल्टा क्षेत्र में समुद्र और नदियों के बढ़ते जलस्तर में वृध्दि की वजह से बाढ़ का खतरा पैदा हो सकता है। '' - इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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