एक और विस्थापन - सापली बांध परियोजना (महाराष्ट्र) हिंगोली जिले के कलमनुरी तहसील के सापली गांव के समीप ''कयाधू'' नदीपर बन रही है

5138 हेक्टयर जमीन पर यह सापली डॅम बनने जा रहा हैं अप्पर पेनगंगा प्रॉजेक्ट जो प्रथम चरण कहलाया जाता है वह ईसापूर डॅम के नाम से पैनगंगा नदी पर बना है जिसे आज 30 साल हो गये है। जिसमें कलमनुरी तहसील के 14 गांव डुबे है और विदर्भ के 14 गांव इस तरह 28 गांव के जमीन पर यह विशाल डॅम बना है। 30 साल से जिस क्षमता से यह डॅम बनाया गया है उस तक 30 साल में भी नहीं पहूँच पाया है। 1,25,000 हे. जमीन सिंचाई करने का प्लॉनींग था अब सिर्फ 28 से 32 हजार हेक्टयर सिंचाई होती है दूसरा प्रमुख कारण है करोड़ो रुपयों का सिव्हील वक्र्स बोगस बनाया गया है। जिस नहर की 78 क्युसेक बहाव की क्षमता है उसमें से 28 क्युसेक से भी पानी छोड़ा नहीं जा सकता इससे अधिक पानी छोड़ा गया तो मुख्य नहर टुट-फुट जाती है जबकी ईसापूर डॅम का पानी 50 फिसदी हरसाल बिना वापरेही पड़ा रहता है वहाँ पर इसी अपर पैनगंगा प्रोजेक्ट का दुसरा चरण कहलाने वाला सापली डॅम कयाधू नदी पर बनवाने के लिए टेंडर निकाले गये है 155 करोड़ रुपयों का यह टेंडर 18 फिसदी ज्यादा से मंजुर किया गया है। इस परियोजना को अभी तक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मंजुरी भी नही दी, जिस जमीन पर यह डॅम बनने जा रहा है उसमे से एक एकड़ जमीन भी सिंचाई विभाग के कब्जे में नहीं है। किसी भी किसान को अभी तक जमीन संपादन की नोटीस भी नहीं दी गयी फिर भी बांध बांधने का टेंडर निकल चुका है।
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पर्यावरण विभाग की जनसुनवाई जिला कलेक्टर के दफ्तर में बाधीत क्षेत्र के 60 से 70 कि.मी. दुर रखी गयी थी उस पर समिति ने आक्षेप लेने पर सुनवाई रद्द की गयी और कलमनुरी (जिला-हिंगोली) तहसिल में यह सुनवाई रखी गयी थी फिर उस पर आक्षेप लिया गया तब बारीश का मौसम रहने से सुनवाई रोक दि गयी है अब वापस कब और कहाँ सुनवाई होने वाली है इसका इंतजार है।
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अप्पर पैनगंगा प्रॉजेक्ट का प्रथम चरण का काम हुये 30 साल हो चुके है लेकिन अब तक उनका पुर्नवास हो नही सका, रास्ते, बिजली, पानी, स्कुल बिल्डींग, दफनभूमी अभीतक नहीं मिल सका। 29 गावों ने सब कुछ पानी में गवाँकर लोग अभीतक उनकी जमीनों का मुआवजा भी ठिक से नहीं पा सके फिर दुसरे चरण का सापली डॅम का काम करने की कोई भी आवश्यकता नहीं होते हुये भी सरकार में बैठे हुये कुछ मंत्री, अफसर, कॉन्टॅ्रक्टर इन की एक मजबुत लॉबी करोड़ों रुपये जो इस डॅम के काम से मिलने वाले है उस पर नजर रखकर कायदे-कानुन सब तोड़कर 20 गांव के 25 हजार लोग, 5138 हेक्टर जमीन जंगल पानी में डुबो रहे हैं। 20 गांव की जमीन इस डॅम में जा रही है। 14 गांव पुरी तरह विस्थापीत हो रहे हैं उनका पुर्नवास कहाँ और कैसे किया जा रहा है यह भी अभी तक ठहराया गया नहीं। जंगल जमीन इस डॅम में जाती ही नही ऐसे झुठ कागज पर दिखाया गया है। पुर्णा-अकोला रेलवे लाइन जिस गांव से नांदापूर हो कर जा रही है यह गांव भी विस्थापीत हो रहा है फिर रेलवे लाइन कहाँ से बचेगी लेकिन रेलवे मंत्रालय का झंझट टालने के लिए यह रेलवे लाइन बॅक वॉटर से बहुरा दुर आती है। ऐसा कागज पर बताया जा रहा है। सब झुठ है लेकिन कागज पर सच बताकर यह डॅम बनवाया जा रहा है।
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राज्य सरकार में बैठे हुये कांग्रेस, राष्ट्रवादी के नेता गण, उनके कॉन्टे्रक्टर और अफसर यह सब कागजी खेल खेलकर 25 हजार लोगों की जिंदगी से खेल रही है। इस डॅम को विरोध करने के लिए हमने बंद, मोर्चा, विशाल रैली, अनशन यह सब रूख अपनाये 10 से 15 हजार लोग रैली में सम्मीलीत हुये थे। 20 गांव के लोग इस आंदोलन से जुड़े हैं। ''जान देंगे-जमीन नहीं देंगे''। इस संकल्प के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं।
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आजादी मिलने पर भी इन देशी अंग्रेजों ने कराड़ो रुपयों की लालच में आकर 20 गांव की जमीन इस डॅम में डुबोकर 25 हजार लोगों की विस्थापीत करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है उसको पुरे ताकत से कड़ा विरोध कर रहे हैं।
नंदकिशोर तोष्णीवाल
पुलिस स्टेशन रोड
कलमनुरी, हिंगोली-431702

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