बूँद बूँद को तरसते लोग

जल स्तर में गिरावट से पानी की कमी होती जा रही है
दुनिया भर में भूमिगत जल का स्तर तेजी से गिरता जा रहा है और विकासशील देशों में तो स्थिति बेहद गंभीर है. इन देशों में जल स्तर लगभग तीन मीटर प्रति वर्ष की रफ़्तार से गिर रहा है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने अपने एक अध्ययन में पाया कि यदि तत्काल क़दम नहीं उठाए गए तो स्थिति बहुत गंभीर हो जाएगी. पीने के पानी के लिए भूमिगत जल पर लगभग दो अरब लोग निर्भर हैं और यह संसाधन तेज़ी से ख़त्म होता जा रहा है.

गिरता जल स्तर
संयुक्त राष्ट्र ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका का अध्ययन किया और पाया कि वहाँ कुछ स्थानों पर जल स्तर 40 मीटर तक गिर गया. भारत के गाँवों में जल स्तर की गिरावट की शिकायत आम है. भूमिगत जल से भारत के 80 प्रतिशत गाँवों को पीने के पानी की आपूर्ति होती है. गिरते जल स्तर से न केवल जल की गुणवत्ता गिरती है बल्कि सूखे का ख़तरा रहता है. ग़ैर सरकारी संगठनों का कहना है कि बड़े उद्योग-धंधे भूमिगत जल का व्यापक इस्तेमाल करते हैं लेकिन उसकी भरपाई नहीं करते हैं.

चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का कहना है कि यदि कोई नदी या झील सूखती है तो तत्काल लोगों का ध्यान उस ओर जाता है क्योंकि ये सबके सामने होती है.

भूमिगत जल स्तर गिरता जाता है और लोगों का ध्यान इस ओर नहीं जाता क्योंकि वह नज़र नहीं आता

संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट
लेकिन भूमिगत जल स्तर गिरता जाता है और लोगों का ध्यान इस ओर नहीं जाता. ऐसा नहीं है कि भूमिगत जल स्तर केवल विकासशील देशों में ही गिर रहा हो. अमरीका के एरिज़ोना प्रांत में जितनी बारिश होती है, उससे दोगुना भूमिगत जल का इस्तेमाल कर लिया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ने जल स्तर में गिरावट की वजह बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण और बड़े स्तर पर खेती को माना है.
साभार- बीबीसी हिन्दी

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