पहाड़ों पर बाढ़ का ख़तरा बढ़ा

अब से पच्चीस साल पहले इस झील का नामोनिशान नहीं था यह वो झील है जो यहाँ नहीं होनी चाहिए थी. एक किलोमीटर लंबी औऱ 100 मीटर गहरी ये झील समुद्र तल से 6 हज़ार मीटर ऊँचाई पर है. अब से 25 साल पहले यह एक ग्लेशियर यानी हिमनद था. पानी में बहते बर्फ़ के बड़े बड़े पहाड़ों को ग्लेशियर या हिमनद कहते हैं.

लेकिन तब से दुनिया के इस तीसरे सबसे बड़े बर्फ़ीले मैदान में तापमान इस क़दर बढ़ा है कि हिमनद पिघलकर नदी का रूप ले चुका है. मौसम के जानकारों का दावा है कि ऐसा क्यों हुआ, वे जानते हैं. ब्रिटेन के हैडली सेंटर फ़ॉर क्लाइमेट रिसर्च के क्रिस फ़ॉलैंड कहते हैं कि "ये इस बात का एक अहम सबूत है कि मौसम दुनिया भर में सचमुच गरम हो रहा है."

इस झील के नीचे बसी बस्तियाँ बाढ़ में बह सकती हैं
फ़ॉलैंड ने कहा कि दुनिया भर में यानि दक्षिण अमरीका, यूरोप और हिमालय के हिमनद पिछले 100 सालों से लगातार पिघल रहे है. दरअसल बर्फ़ की चट्टानों की एक दीवार होती है जो झील को अपनी जगह बनाए रखती है. इसे टर्मिनल मोरेन कहते हैं. और जो बर्फ़ इसे बांधे रखती है वो पिघल रही है. ऐसे में इस प्राकृतिक बाँध का कभी न कभी टूटना तय है और तब पानी का एक सैलाब घाटी में बहेगा.
एक स्थानीय शेरपा उतन राय बताते हैं कि ये ग्लेशियर छोटा होता जा रहा है और झील बड़ी होती जा रही है. इम्जा ग्लेशियर के नीचे बसी है - शेरपा घाटी जो काफ़ी ज़्यादा आबादी वाली है. यहाँ सिर्फ़ पैदल आया जा सकता है.

ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहा है
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जब ये बाँध टूटेगा, ये एक तबाही लाएगा जिसका दोष नेपाल पश्चिमी औद्योगिक देशों पर मढ़ता है. वर्ल्ड वाइड फ़ंड फ़ॉर नेचर के गण श्याम गुरंग कहते हैं "मेरे ख़्याल से ज़िम्मेदारी सबकी है". गुरंग का मानना है कि ये सब ग्रीन हाउस गैसों की वजह से हो रहा है.
हिमालय का हर हिमनद पिघल रहा है और लगता है ये पूरी दुनिया में हो रहा है और हिमनद काफ़ी तेज़ी से ख़्त्म हो रहे हैं. लेकिन मौसम के कारणों और उसके असर में संबंध साबित कर पाना हमेशा से ही एक मुश्किल रहा है.
तो हिमालय के इस ग्लेशियर के पिघलने का क्या कारण है? क्या ये स्थानीय मौसम की वजह से है? या फिर ये पश्चिमी देशों के प्रदूषण से बढ़ रही गर्मी है जो यहाँ का मौसम भी प्रभावित कर रही है.
लेकिन इस बीच भी इम्जा ग्लेशियर का टूटना और पिघलना जारी है.अगर ये पूरी दुनिया में हो रहा है, तब भी इसका नतीजा यहाँ तबाही लाएगा.

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