इसका पानी, उसका पानी, किसका पानी

इधर पृथ्वी लोक के जल विशेषज्ञ परलोक सिधारते गये उधर आकाश लोक में इनकी संख्या बढती गई. जिसका डर था वही हुआ. आकाशलोक का हाल वही हुआ जो धरातल का पहले से था. आकाशलोक में जल संकट के बादल मंडराने लगे. पानी के लिये त्राही-त्राही मच गयी. यहां तक कि देवताओं के स्नान तक के लिये पानी मिलना मुश्किल हो गया. इंद्र देव ने यह कह कर हाथ खडे कर दिये कि पृथ्वी पर हमारे फैन अधिक है इसलिये पहले पृथ्वी पर पानी बरसायेंगे फिर आकाश लोक की बारी है. इंद्र की बात सुनकर वहां जल समिति की बात होने लगी. समिति का अर्थ है वोट या फिर कुछ ऐसे लोगों को गुट जिनका की विषय से कुछ लेना देना नहीं है. आकाश लोक में भी जल संकट से जूझने के लिये बने समिति में कुछ ऐसे ही विशेषज्ञों को शामिल किया गया. जिनका पानी से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था. लेकिन इस समिति के अध्यक्ष पद के लिये एक ऐसे बुजुर्ग को चुना गया जो पृथ्वी में जल विशेषज्ञ का पदभार संभाल चुके थे. घोर संकट को देखते हुये समिति ने अपना काम शुरू भी कर दिया. समिति में शामिल विशेषज्ञों ने प्रस्ताव दिया कि पृथ्वी के लोग हर साल जल संकट से जुझते आ रहें हैं. आकाशलोक में इस समस्या से जुझने के लिये उनसे ट्रेनिंग लेने की आवश्यकता है. पृथ्वी से ट्रेनिंग लेने के लिये स्टडी ग्रुप की स्थापना की गई. यह ग्रुप पृथ्वी की ओर निकल पडा. स्टडी के लिये एक नदी के मुहाने में जा पहुंचा. मुहाने का इलाका पहले तो काफी हरा-भरा हुआ करता था पर अब सूख चुका है. दल ने यहां एक किसान से बात की. उनसे कहा कि कृपया हमें जलसंकट से उभरने का उपाय बतायें. किसान ने विनम्र भाव से उत्तर दिया. कहा कि आपलोगों को नहीं पता आज कल यहां जल संरक्षण अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के कारण हर कोई अपने लिये पानी संरक्षित करने में लगा हुआ है. दल ने पूछा इस अभियान के तहत आप लोग करते क्या हैं. किसान ने कहा जुलूस निकालते हैं, नारेबाजी करते हैं, घेराव व समय-समय पर रोड जाम भी करते हैं. किसान से बात करने के बाद ग्रुप आगे बढा. कुछ दूर जाने के बाद उन्हें नदी पर बांध बनते दिखा. वे वहां पहुंचे. कुछ लोग बांध बनाने का विरोध कर रहे थे. उनका कहना था कि इससे पर्यावरण नष्ट हो जायेगा. दूसरी ओर कुछ लोग बांध बनाना चाहते थे. लोगों को इसके फायदे गिनवा रहें थे. दल को बताया गया कि इस खिंचा तानी में कई साल येसे ही बीत चुके हैं.
कुछ और अनुभव लेने के उद्देश्य से यह दल और आगे बढा जहां उन्हें कुछ सामाजिक संगठन वाले मिल गये. विशेषज्ञों ने कहा हम आकाशलोक में आये जलसंकट का निदान ढूंढ रहें हैं. सामाजिक संगठन वालों ने कहा हम पिछले कई सालों से इसपर काम कर रहें हैं. अगर आप चाहे तो हमारा प्रोजेक्ट देख सकते हैं. हमारा प्रोजेक्ट है तालाब संस्कृति को पुर्नजीवित करना. कई प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार हो चुके है. आप चाहे तो हमारा काम देख सकते हैं. विशेषज्ञों का दल उनके साथ प्रोजेक्ट एरिया देखने निकल पडा. कहीं कहीं पर कुछ तलाब देखकर वे खुश हो गये. पर वहां के लोग ने इस बारे में बताया कि जिन तालाबों को देखकर आप खुश हो रहें हैं वे प्रोजेक्ट में शामिल नहीं है. वे तो हमने वर्षों पहले खुद बनाये थे.
प्रोजेक्ट में शामिल तालाब तो वे गढ्ढे हैं जिन्हें पार कर आप यहां तक पहुंचे हैं. ये सब देखने के बाद देवताओं का ग्रुप वापस लौटने में ही भलाई समझा. आकाशलोक पहुंच कर इस ग्रुप में टूर रिपोर्ट बनाया. जिसे देख वे खूद ही शर्म से पानी पानी हो गये. जिससे पूरा आकाशलोक पानी से भर गया. वहां आये पानी संकट खूद ही दूर हो गया.

-संवाद मंथन, पकज अवधिया

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