एक लाख मेगावॉट बिजली सिर्फ छोटे 1 या 2 किलोवॉट की पवनचक्की से पैदा हो सकती है - बेलजी भाई देसाई

परमाणु करार की भयानकता हम जितना समझते हैं, उससे कहीं ज्यादा है। अमरीकी सरकार के सामने सत्याग्रह करने वाले JEFF KNAEBEL ने भारतीय जनता को जाग्रत करने के लिये एक अपील परमाणु करार के बारे में निकाली है, वह मैं ई-मेल से भेजता हूँ। उस काफी लम्बी अपील को पढ़ने पर ख्याल आता है कि परमाणु करार हमारी कल्पना से भी ज्यादा खतरनाक है। जेफ नेबेले वियतनाम युध्द में अमरीकी आर्मी ऑफीसर थे। बिजली के बारे में पूरा देश भूलावे में है। मैं खुद आखिरी 5 साल से उसके संशोधन में लगा हूँ। मुझे समझ में आया है कि बिजली पैदा करना बिल्कुल छोटे पैमाने पर सस्ता पड़ता है। बड़े पैमाने पर महँगा पड़ता है और WASTE बहुत जाता है। लेकिन हमारी सरकार आम जनता की सरासर दुश्मन है। वह छोटे पैमाने कुछ भी होता है तो उसको कुछ भी प्रोत्साहन न मिले उसका पूरा ख्याल रखती है और बड़े पैमाने पर ही सब कुछ केन्द्रित रहना चाहिये और अपने अंकुश में रहना चाहिये और आम जनता सतत गुलाम रहनी चाहिये, ऐसा ध्यान रखा जाता है। आज 10 करोड़ घरों में बिजली का कनेक्शन ही नहीं हैं यानी आधा भारत बिजल से संपूर्ण वंचित है। ये 10 करोड़ घरों में 3 साल में बिजली बिल्कुल सस्ते में पहुँच सकती है। भारत सरकार के बजट का एक प्रतिशत रकम में काम हो जायेगा मेरी स्कीम ELECTRIFICATION OF 100 MILLION POOR HOMES OF INDIA ऊर्जा मंत्रालय के हरेक अधिकारी को मैंने भेजा, लेकिन किसी ने जबाव ही नहीं दिया। मैं ई-मेल से वह स्कीम आपको भेजता हूँ। आप देखेंगे कि यह स्कीम कितनी सरल, कितनी सस्ती, कितनी व्यवाहारिक और कितनी तेजी से हो सकती है।
अब दूसरी बात। थर्मल पावर प्लांट में सरकार प्रति मेगावाट 6 करोड़ रुपये लगाती है। ट्रान्समीशन, डिस्ट्रीब्यूशन लाइनें सब लगाते हुए खर्च प्रति मेगावाट 10 करोड़ रुपये हो जाता है। प्रति मेगावाट 10 करोड़ रुपये प्रति किलोवॉट एक लाख रुपये प्रति 5 किलोवॉट 5 लाख रुपये। अब मैं 5 किलोवॉट का TINY THERMAL POWER PLANT बनाने जा रहा हूँ, जो 80,000/- रुपये में मिल जायेगा। अर्थात् सरकार एक मेगावॉट में 10 करोड़ लगाती है, उतनी रकम में 5 किलोवॉट के 1250 प्लांट लग जायेंगे यानी 5×1250=6250 किलोवॉट, यानी 6 मेगावॉट से ज्यादा। मैं ऐसे छोटे प्लान्ट बनाकर एक्सपोर्ट करने वाला हूँ। लेकिन देश में नही जा सकता क्योंकि सरकार ने तरह-तरह के कानून बनाकर ये सब प्रतिबंधित करके रखा है। सचमुच में राक्षसी कद के बड़े प्लांट की कोई जरूरत है ही नहीं। उसमें गरमी का जितना वेस्टेज होता है, उसका चौथा हिस्सा भी छोटे प्लांट में वेस्टेज नहीं जायगा, क्योंकि सब प्लांन्ट में CONGNERATION के सिध्दान्त पर गरमी का उपयोग कुछ ने कुछ प्रोसेस में हो जायगा। बड़े प्लांट में कोयले की गुणवत्ता में कुछ भी फर्क आया तो प्लांट नहीं चलेगा। मेरे छोटे प्लांट में कोयला, लकड़ी, कपास की झाड़ियाँ या कुछ भी चल सकता है। हमारे देश में ऐसे छोटे प्लांट करोड़ों लोग सकते हैं। उसका मेरा लेख HUGE SCOPE OF TINY THERMAL POWER PLANTS भी ईमेल से भेजता हूँ।
अब मैं सोलर पावर प्लांट तक पहूँचने की तैयारी में हूँ। मुझे आशा है कि एक साल में 5 किलोवॉट का सोलर पावर प्लांट हो जायगा और उसकी कीमत भी 5 से 6 लाख होगी यानी राक्षसी थर्मल पावर प्लांट से 60 प्रतिशत कीमत में।
अब पवनचक्की का देखिये। मेरा अनुमान है कि भारत में करोड़ों छोटी पवनचक्की लगा के एक लाख मेगावॉट बिजली सिर्फ छोटे 1 या 2 किलोवॉट की पवनचक्की से पैदा हो सकती है। मैं एक दो महिने में 2 किलोवॉट की पवनचक्की बाजार में रखना चाहता हूँ। उसके लिये मेरा लेख SCOPE OF SMALL WIND TURBINES IN INDIA भी ई-मेल से भेज रहा हूँ। मेरे पास naiazadi@gmail.com एड्रेस है उसके उपर सब भेजूँगा। विकेन्द्रित ऊर्जा के लिये इतना अवकाश है कि एक भी केन्द्रित राक्षसी प्लान्ट लगाना जरूरी है ही नहीं। फिर भयानक प्रदुषण फैलाने वाले परमाणु ऊर्जा का प्लांट तो हमें सोचना भी नहीं चाहिये।
बेलजी भाई देसाई
92, समर्थ टावर, अक्सर मार्ग,
राजकोट-360001, फोन-9227606570
E-mail: energy@tinytechindia.com
Website: www.tinytechindia.com

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