पोर्टो अलेग्रे का पानी : सार्वजनिक और सबके लिए 2 -हेलिओ माल्ट्ज

सफल सार्वजनिक पानी

इस सेवा में कर्मचारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने तकनीकी कठिनाइयों का सामना किया है जैसे बड़े पैमाने पर सुनहरी सीपियों के फैलाव की समस्या जिसने महत्वपूर्ण पाइपों और अन्य सुविधाओं को अवरुद्ध कर दिया था। इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए किये गये शोध ने डी.एम.ए.ई. को इस विषय पर देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण सूचना संदर्भों में से एक बना दिया।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान डी.एम.ए.ई. ने अपने सूचकांकों को बढ़ते देखा है। 1989 में लगभग 94.7 प्रतिशत आबादी को जलापूर्ति की जाती थी। सन् 2001 तक यह प्रतिशत बढ़कर 99.5 प्रतिशत हो गया। यह आंकड़ा अब तक बना हुआ है। जहां तक सफाई की बात है, 1990 में 73 प्रतिशत आबादी को सफाई (सीवेज कलेक्शन) की सुविधा प्राप्त थी। यह आंकड़ा 2004 में बढ़कर 84 प्रतिशत हो गया। सीवेज शोधन के क्षेत्र में विकास और अधिक उल्लेखनीय है। 1989 में 2 प्रतिशत आबादी को यह सेवा प्राप्त थी। पाँच नये संयंत्रों के निर्माण के कारण 2002 तक यह संख्या बढ़कर 27 प्रतिशत हो गयी। फिलहाल डी.एम.ए.ई. की योजना गंदे पानी के शोधन के लिए एक नया शोधन संयंत्र बनाने की है जिसका उद्देश्य शोधन सूचकांक को पांच वर्षों में 77 प्रतिशत तक पहुंचा देने का है।

यह प्रदर्शित करना महत्वपूर्ण है कि सार्वजनिक भागीदारी ने मुख्यत: एक सहभागी बजट के जरिये डी.एम.ए.ई. की सेवाओं को कैसे प्रभावित किया है। जहां नगर की आबादी पिछले दस वर्षों में लगभग 8.5 प्रतिशत बढ़ी है वहीं घरों के जल कनेक्शनों में लगभग 23 प्रतिशत वृद्धि हुई है और जिन घरों को सीवेज संग्रह संबंधी सफाई सेवा प्राप्त है वे बढ़कर 40 प्रतिशत हो गये हैं। यह नीचे दी गयी तालिका में प्रदर्शित किया गया है।

1994 2004 विकास
निवासी 1.294.506 1.404.670 8.51 प्रतिशत
पानी के कनेक्शन वाले घर 459.706 565.358 22.98 प्रतिशत
सफाई सीवेज संग्रह की 342.178 480.114 40.31 प्रतिशत
सेवा प्राप्त घर
स्रोत : डी.एम.ए.ई. तथा आई.बी.जी.ई. (ब्राजीलियन इंस्टीटयूट फॉर स्टेटिस्टिक्स)

1989 तक डी.एम.ए.ई. प्राथमिक तौर पर व्यापारिक केंद्रों और धनी इलाकों को सेवाएं प्रदान करती थी लेकिन जब 16 क्षेत्रों में लोगों ने अपनी मांगों पर चर्चा करना और मतदान करना शुरू किया तो दूरदराज के और निर्धन इलाकों में भी पानी और सफाई में निवेश किया गया। इस तरह अब पानी हर व्यक्ति की पहुंच में आ गया।
इसका एक सीधा परिणाम यह हुआ कि शहर में पानी के जरिये फैलने वाले रोग काफी हद तक कम हो गये। उदाहरण के लिए ब्राजील में अभी हाल के वर्षों में कालरा का प्रकोप हुआ था लेकिन पोर्टो अलेग्रे में कालरा का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ। सीवरों में कालरा के विषाणु (विब्रिओ कालेरी) की शिनाख्त होने पर डी.एम.ए.ई. की उच्च स्तर पर नियंत्रित जल शोधन व्यवस्था ने इस रोग को रोकने में एक अवरोध बाड़ का काम किया।

ये सभी उदाहरण उस ठोस प्रबंधन का परिणाम हैं जिसने अपने प्रयास डी.एम.ए.ई. को वित्तीय रूप से समर्थ बनाये रखने पर और इस प्रकार उसे अपने अधिशेष धान का पानी और सफाई सुविधाओं में फन: निवेश करने में समर्थ बनाने पर केंद्रित किये हैं। पिछले सात वर्षों में निवेश किया गया 70 प्रतिशत धन शुल्क संग्रह से मिला था। यह उपलब्धि लागत मूल्यांकन और व्यय प्रबंधन के साथ एक मजबूत आतंरिक नियंत्रण नीति के कारण हुई। डी.एम.ए.ई. अपनी सेवाओं का और अधिक विस्तार कर सकती थी किंतु 1997 से 2003 तक राष्ट्रीय कर्ज बैकों से उसे अपनी सामर्थ्य लायक कर्ज नहीं मिले थे क्योंकि इन बैंकों का रुझान ब्राजील में जल क्षेत्र के निजीकरण में सहायता देने की ओर था।
सन् 2000 के खत्म होते होते कांग्रेस के समक्ष एक कानून प्रस्तावित किया गया जिसका स्पष्ट लक्ष्य जल का निजीकरण था। डी.एम.ए.ई. उस राष्ट्रीय प्रतिरोध आंदोलन के हरावल दस्ते में था जो इसको रोकने में सफल रहा। प्रस्ताव वापस ले लिया गया। वर्तमान राष्ट्रीय सरकार का 2003 में हुआ। इस सरकार के तहत एक नयी कानूनी परियोजना पर, जो पानी, सफाई, ठोस कचरा और तूफानी पानी के लिए राष्ट्रीय विनियमन चाहती है, देशव्यापी चर्चा चलायी जा रही है। इसके बाद ही इसे संसद के पास भेजा
जायेगा।
नयी नीति राजकीय और नगरीय जल सुविधाओं को साथ-साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित करती है लेकिन नगरीय प्रशासन को ब्राजीली संविधान के अनुसार स्वतंत्र रूप से काम करने अथवा एक दीर्घकालीन अनुबंध पर आधारित सरकारी सेवा को कमीशन करने का विकल्प अपनाने की अनुमति भी देती है।
नये कानून के मुख्य उद्देश्यों में से एक सार्वजनिक अथवा निजी जल सुविधाओं के विनियमन और सामाजिक नियंत्रण दोनों को बढ़ावा देना है। इसके लिए कानून के बाद मिलने वाली सुविधाओं को भी कर्ज प्रस्तावों से जोड़ दिया जायेगा।
परियोजना ने जिस चीज का प्रस्ताव किया डी.एम.ए.ई. ने स्वयं को पहले ही उसके अनुकूल बना लिया है। मुख्यतया सामाजिक नियंत्रण के मामले में वह भाड़े पर एक परामर्शी सेवा से सुविधा के प्रशासन सम्बन्धी सुधार के प्रस्ताव पर काम करा रही है।
हमारी शुल्क संरचना मजबूत क्रास सब्सिडी पर आधारित है। कम आमदनी वाले लोगों के लिए एक सामाजिक शुल्क तय है। उन्हें प्रति माह दस क्यूबिक मीटर पानी इस्तेमाल करने का अधिकार है किंतु वे भुगतान केवल चार क्यूबिक मीटर के लिए करते हैं।
सामाजिक शुल्क के अतिरिक्त तीन भिन्न दरें भी हैं। जो लोग केवल बुनियादी जरूरतों के लिए पानी का इस्तेमाल करते हैं (वे प्रति माह 20 क्यूबिक मीटर तक पानी का इस्तेमाल करते हैं) उन्हें उन लोगों द्वारा काफी आर्थिक सहायता दी गई है जो प्रति माह बीस से एक हजार क्यूबिक मीटर पानी का इस्तेमाल करते हैं। 20 से 1000 क्यूबिक मीटर तक पानी इस्तेमाल करने वाले समूहों के लिए शुल्क बहुत तेजी से बढ़ सकते हैं और इसके बाद शुल्क बहुत ऊंचे हो जाते हैं। हवाई अड्डे, शापिंग सेंटर और उद्योग जैसे बड़े उपभोक्ता इस श्रेणी में आते हैं। उदाहरण के लिए धनी लोगों को, जो सिर्फ अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए ही नहीं बल्कि अपने तरण-तालों के लिए भी पानी का इस्तेमाल करते हैं, निर्धन लोगों के लिए पानी की सब्सिडी देनी पड़ती है। इस शुल्क संरचना के साथ हम पानी और सफाई सेवाओं के रख-रखाव और विस्तार के काम में पर्याप्त धनराशि का निवेश कर सकते हैं। इससे हमारे वार्षिक बजट का लगभग 15 से 25 प्रतिशत वार्षिक अधिशेष मिलता है जो नये निवेशों में लगाया जाता है।
यही वह बिंदु है जहां लोग अगले वर्ष के सहभागी बजट चक्र में भागीदारी करते हैं। लोग अपनी मांगें लेकर आते हैं, उन पर चर्चा करते हैं, मतदान करते हैं और फिर इस मूल्यांकन के बाद कि मांगें तकनीकी रूप से व्यावहारिक हैं, वे मांगें अगले वर्ष के म्यूनिसिपल बजट में शामिल कर ली जाती हैं। जलकलों (वाटर वर्क्स) का परीक्षण डी.एम.ए.ई करता है।

सरोकार रखने वाले नागरिकों का एक समूह काम के दौरान ठेकेदारों के साथ-साथ रहने और उनके काम पर निगाह रखने के लिए नियुक्त किया जाता है ताकि निर्णय करने से लेकर धान के इस्तेमाल तक की प्रक्रिया जनता की देख-रेख में हो। यह समाज द्वारा नियंत्रण रखने की पूरी कार्रवाई है। सहभागिता बजट पर अमल ने डी.एम.ए.ई. को ठीक उसी तरह बदल दिया है जैसे शहर की जरूरतों को पूरा किये जाने की अवधारणा बदली है। डी.एम.ए.ई. के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपना ध्यान जनता की मांगे सुनने पर और उनकी मांगों पर कार्रवाई को आगे बढ़ाने पर केंद्रित करना होता है। इससे हमारे प्रबंधन के तरीके में जबर्दस्त बदलाव आया है। परिणामस्वरूप, धान कहां लगाया जायेगा, यह अब हम नहीं तय करते- जनता अपनी मांगों पर चर्चा करती है और अगर वे मांगें तकनीकी दृष्टि से संभव हैं तो उन्हें अगले वर्ष के बजट में शामिल कर लिया जाता है।

डी.एम.ए.ई. प्रशासकों को यह भी मालूम है कि उन्हें ऐसे कर्मचारियों की जरूरत है
जो उत्साही हों और जनता की जरूरतों को पूरा करने में ऊंचे मानदंड हासिल कर सकते हों। इसलिए हर साल शिक्षा, स्वास्थ्य की देखभाल, बीमा, परिवहन तथा अन्य क्षेत्रों में काफी ज्यादा निवेश किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप अनेक कर्मचारियों को हाईस्कूल अथवा विश्वविद्यालय में वजीफे मिले हैं और प्रबंधकीय तथा तकनीकी विषयों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों तक उनकी पहुंच संभव हुई है और उन्होंने सामाजिक उत्तरदायित्व के लिए महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। इन निवेशों का नतीजा एक सामाजिक लेखे-जोखे में विस्तार से दिया जाता है जो सन् 2000 से प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाता है।

“लेके रहेंगे अपना पानी” से पाठ 11...............
वेब प्रस्तुति- मीनाक्षी अरोड़ा
साभार-इंसाफ

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