संगम के पास जहरीला हुआ गंगा का पानी

संगम के पास जहरीला हुआ गंगा का पानी

इलाहाबाद । गंगा नदी का पानी इतना विषाक्त हो गया है कि इसे लगातार पीने पर किसी की मौत हो सकती है। इसमें रहने वाले जीव-जंतुओं, मछलियों का अस्तित्व समाप्त हो सकता है। इसका पानी स्पर्श मात्र से चर्म रोग व पीलिया जैसी बीमारी हो सकती है। नदी के ऐसे जहरीले पानी में लोग माघ मेले में डुबकी लगाएंगे। सरकारी स्तर से माघ मेले में गंगा का जलस्तर बढ़ाने के सभी प्रयास हो रहे हैं। लेकिन इसका जल स्वच्छ करने की कोई योजना नहीं है। शहर के दो दर्जन से अधिक नालों का गंदा पानी गंगा में जाने से ऐसी खतरनाक स्थिति बनी है।

इस वक्त गंगा में प्रति लीटर बीओडी 74 के आसपास है। इसके अलावा नदी के पानी में आक्सीजन की मात्रा एक मिलीग्राम से भी कम हो गई है। ये दोनों ही आंकड़े गंगा का जहरीला होने के संकेत दे रहे हैं। हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए जा रहे आंकड़े के अनुसार गंगा में बीओडी की मात्रा पांच मिलीग्राम के आसपास है। और डिजाल्व्ड आक्सीजन प्रति लीटर सात मिली ग्राम है। लेकिन इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दीनानाथ शुक्ल दीन ने नदी के पानी की जांच की तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। उन्होंने कहा कि माघ मेला के पहले नदी में बहने वाला प्रदूषण नहीं रोका गया तो जहरीले पानी में डुबकी लगाने वाले सीधे प्रभावित होंगे।

प्रोफेसर शुक्ल ने गंगा में गिरने वाले मोरी नाले के पास लिए गए पानी के नमूने की जांच की। वहां के पानी में बीओडी 74 एमजी प्रति लीटर मिला। जबकि नदी के पानी में जीव-जंतुओं को जीवित रखने वाला डिजाल्व्ड आक्सीजन 0.9 एमजी प्रति लीटर था। इसी प्रकार संगम के पास रामघाट पर गंगा में बीओडी 34.6 एमजी प्रति लीटर तथा डीओ 3.9 एमजी प्रति लीटर है। प्रोफेसर शुक्ल की मानें तो पिछले कई साल से सरकारी विभाग गंगा में बीओडी और डीओ के आंकड़े में बाजीगरी कर रहे हैं। सरकारी आंकड़े में कभी भी गंगा में बीओडी पांच के ऊपर नहीं दर्शाया जाता और डीओ छह के नीचे नहीं होता। जबकि नदी में बीओडी की मात्रा तीन एमजी प्रति लीटर से अधिक नहीं तथा डीओ पांच एमजी प्रति लीटर से कम नहीं होना चाहिए।

सरकारी व निजी संस्थाओं द्वारा पेश किए गए आंकड़े में भारी अंतर होने के पीछे भी वजह साफ है। सरकारी विभाग गंगा की बीच धारा से लिए गए पानी के नमूने की जांच करता है। जबकि निजी संस्थाएं नदी के उस स्थान से पानी के नमूने लेता है जहां लोग डुबकी लगाते हैं। इसका खुलासा पिछले अ‌र्द्धकुंभ के दौरान भी हुआ था। गौरतलब है कि अ‌र्द्धकुंभ में जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगा में बीओडी चार एमजी प्रति लीटर दर्शाया था उसी वक्त विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में हुई जांच के दौरान नदी में बीओडी 45 एमजी प्रति लीटर मिला था।

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