संसद में उठे पानी से जुड़े सवाल

नई दिल्ली (एजेंसियां)। संसद में पानी से संबंधित मुद्दे आज जोरदार ढंग से उठे। सरकार ने स्पष्ट किया कि बाढ़ नियंत्रण संबंधी राष्ट्रीय नीति नहीं बनाई गई है लेकिन राष्ट्रीय जल नीति 2002 में बाढ़ प्रबंधन से संबंधित मुद्दों का समाधान किया गया है। नदियों को परस्पर जोड़ने के लिए सार्वजनिक और निजी निवेश बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। देश में 99 बांध 100 साल से पुराने हैं।
जल संसाधन राज्यमंत्री जयप्रकाश नारायण यादव ने आज राज्यसभा को बताया कि 2007-08 में बाढ़ नियंत्रण के लिए आंध्र प्रदेश ने 332.6 करोड़ रूपए परिव्यय किए हैं। बिहार के लिए यह राशि 316.80 करोड़ रूपए व पश्चिम बंगाल के लिए 140.78 करोड़ रूपए है। उन्होंने नदियों को परस्पर जोड़ने के सवाल के संदर्भ में बताया कि राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद (एनसीएईआर) ने नदियों को परस्पर जोड़ने में करीब 4,44 लाख करोड़ रूपए की लागत आने का अनुमान व्यक्त किया है। इस कार्यक्रम में करीब 35 से 40 वर्ष का समय लग सकता है। आईसीआईसीआई ने सुझाव दिया है कि नदियों को जोड़ने के लिए वित्त पोषण सार्वजनिक-निजी निवेश के जरिए किया जा सकता है। नदियों को जोड़ने के लिए गठित कार्यबल ने बताया कि प्रायद्वीपीय संपर्क से ही नदियों को जोड़ने की शुरूआत की जा सकती है। इसका कारण यह है कि हिमालयी संपर्कों की अंतरराष्ट्रीय बाधाएं हैं। साथ ही इस मामले पर कार्रवाई करना अभी जल्दबाजी होगी क्योंकि नदियों को जोड़ना कोई एकल परियोजना नहीं है। कार्यबल ने उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में केन-बेतवा संपर्क, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पारबती, कालीसिंध चंबल संपर्क को प्राथमिकता दी है।

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