भारत में भूजल की स्थिति चिंतनीय : रिपोर्ट

नयी दिल्ली,
योजना आयोग के एक नए अध्ययन के मुताबिक देश में शुद्ध पानी, जिसमें वर्षा जल और भूजल शामिल है, की अगले 35-40 वर्षो में भयंकर कमी हो सकती है। मंगलवार को जारी भूजल प्रबंधन और मालिकाना हक को लेकर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गयी है।

रिपोर्ट के मुताबिक भूजल निकालने की दर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और कई क्षेत्रों में भूजल का दोहन जमीन के अंदर पानी के इकट्ठा होने की प्रक्रिया की तुलना में अधिक है। इस कारण इन क्षेत्रों में भूजल का स्तर काफी नीचे चला गया है। रिपोर्ट के मुताबिक देश के 28 प्रतिशत क्षेत्रों में स्थिति अर्द्ध-गंभीर, गंभीर और अत्याधिक गंभीर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 1995 में अत्यधिक गंभीर क्षेत्रों का प्रतिशत 4 था, जो तेजी से बढ़कर 15 प्रतिशत तक पहुंच गया है। वर्तमान में भूजल सहित कुल जल का प्रयोग 634 अरब क्यूबिक मीटर है, इनमें से 83 प्रतिशत जल सिंचाई के काम में खर्च किया जाता है। 2010 तक पानी की मांग बढ़कर 813 अरब क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाएगी और 2025 तक यह 1093 और 2050 तक 1447 अरब क्यूबिक मीटर तक पहुंच जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

हाल के वर्षो में भूजल के दोहन में काफी वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भूजल एक सामान्य संसाधन है, जिसका दोहन हर कोई करता है। जब देश में पानी की समस्या पैदा होगी, तो हर व्यक्ति इसका अधिक से अधिक दोहन करना चाहेगा और इस तरह कई लोगों को पानी का हिस्सा नहीं मिलेगा और जब भूजल का स्तर काफी नीचे चला जाएगा, तो इसको निकालने का खर्च भी बढ़ जाएगा। रिपोर्ट में इस पर नियंत्रण के बजाए सहकारी नियंत्रण की बात कही गयी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

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