यमुना किनारे ही बनेगा खेलगांव - सरकार की मनमानी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रमंडल खेलों के मद्देनजर यमुना किनारे बन रहे खेल गांव को कहीं और ले जाने की संभावना को डीडीए ने पूरी तरह से खारिज किया है। डीडीए ने हाईकोर्ट को बताया कि खेलगांव का निर्माण यमुना किनारे ही होगा और यहां पर एथलीटों के लिए 1,160 फ्लैट बनाने की भी योजना है। डीडीए ने यह जवाब यमुना किनारे खेल गांव के निर्माण पर रोक लगाने संबंधी याचिका के संदर्भ में दिया है।

डीडीए के वकील राजीव बंसल ने कहा कि यमुना किनारे बन रहे खेल गांव को किसी भी सूरत में दूसरी जगह स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। उन्होंने तर्क दिया कि वर्ष 2003 में ओलंपिक प्रतिनिधिमंडल ने भारत का दौरा किया था। उस समय प्रतिनिधिमंडल को खेल गांव निर्माण के वैकल्पिक स्थान के तौर पर सफदरजंग हवाई अड्डा या प्रगति मैदान नहीं दिखाया गया था। ऐसे में खेल गांव यमुना किनारे से किसी दूसरी जगह नहीं बनाया जा सकता। याची ने तर्क दिया था कि डीडीए के प्रस्तावित जोनल प्लान के मुताबिक यमुना खादर में कोई भी पक्का निर्माण नहीं हो सकता जबकि डीडीए अब ऐसा निर्माण कर रहा है।

बहरहाल कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद डीडीए को निर्देश दिया कि सोमवार तक प्रस्तावित निर्माण की लेआउट योजना पेश की जाए। कोर्ट ने पूछा कि खेलगांव में कितने खिलाड़ियों को ठहराने की योजना है। उल्लेखनीय है कि गैर सरकारी संगठन 'तपस' द्वारा दाखिल याचिका में यमुना किनारे निर्माण पर रोक लगाने की मांग की गई थी। तर्क दिया गया कि केंद्रीय भूजल प्राधिकरण ने वर्ष 2002 में एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि यमुना खादर क्षेत्र से भूजल नहीं निकाला जा सकता। मगर निर्माण कार्य होने पर बड़े स्तर पर भूजल का प्रयोग होगा। याचिका में कहा गया है कि यमुना खादर का संरक्षण करने में सरकार नाकाम साबित हो रही है और इससे नदी की पर्यावरण प्रणाली को नुकसान पहुंचा है। याची विनोद कुमार जैन ने कहा है कि डीडीए ने यमुना खादर में कुछ आवासीय परिसरों सहित विभिन्न परियोजनाओं का प्रस्ताव किया है, जो बहुत खतरनाक साबित होगा। निर्माण होने से दिल्ली की जनता पानी के लिए तरस जाएगी। इसलिए इस तरह के निर्माण पर रोक लगाई जानी चाहिए।

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