गंगा-यमुना को प्रदूषण से निजात दिलाने के तमाम अभियान
पिछले एक-डेढ़ दशक में पवित्र नदियों गंगा-यमुना को प्रदूषण से निजात दिलाने के तमाम अभियान चलाए जा रहे हैं। इन पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। खासतौर से यमुना की साफ-सफाई पर विदेशी मदद से करोड़ों रुपये फूंके जा चुके हैं, पर नतीजा ढाक के तीन पात वाला ही है। करोड़ों के खर्च के बावजूद यमुना साफ नहीं होती। अब एक नया शिगूफा छोड़ा गया है। कहा जा रहा है कि यमुना के किनारों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। सवाल है कि अगर नदी की जगह यमुना के नाम पर इसी तरह कचरे का नाला बहता रहेगा, तो किनारों के सौंदर्यीकरण का क्या लाभ? यह तो समस्या के ठोस निदान की जगह लीपापोती करने का ही प्रयास होगा। पहले नदियों को तो जीवित कीजिए, उनकी साफ-सफाई करके उनमें प्राणों का संचार कीजिए, उसके बाद ही उनके किनारों पर पार्क आदि बनाइए।
आर. वी. सिंह, रोहिणी, दिल्ली