एक परिचय : उपेन्द्र शंकर
दिल्ली में पैदा हुआ, दिल्ली में ही पला-बढ़ा, 1980 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से एमए किया। उसी वर्ष से मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिक्स एंड प्रोग्राम प्लानिंग में नौकरी कर रहा हूं। हमने 1982 में अंतरजातीय विवाह किया। परिवार में दो बच्चे राहुल और निधि हैं। राहुल पेशे से आर्किटेक्ट है और जयपुर में चलने वाले हर अभियान में मदद करता है। निधि फिल्म संपादन और डॉक्यूमेंटरी का काम करती है।
हमारे समाजकर्म की शुरुआत प्रासंगिक संवाद समिति से हुई। प्रासंगिक संवाद श्रृंखला अखबारों व गांवों में भेजा करते थे। 1983 से लेकर 92 तक नियमित निकालते रहे। मैं और मेरी पत्नी सुनीता दिल्ली की बसों में बांटा करते थे। सोच ये थी कि उन तक सूचनाएं पहुंचनी चाहिए, जो कुछ करें, पढ़े और विचार प्रक्रिया शुरू हो। प्रासंगिक संवाद समिति का पहले अंक का प्रकाशन वर्ल्ड फूड-डे पर हुआ था। इसमें यह बहस करने की कोशिश की गई थी कि क्लब ऑफ रोम के जीरो रेट ग्रोथ थ्योरी पर चर्चा हो। जीरो रेट ग्रोथ थ्योरी के पीछे कांसेप्ट यह है कि जीरो रेट ग्रोथ होने पर पर्यावरण का विनाश बंद हो जाएगा, पर यह थ्योरी गरीब मुल्कों के भूखे लोगों के लिए कुछ भी देने को तैयार नहीं थी। . . . . . Read More