ब्रज की अन्य लुप्त नदियाँ
छोटी बरसाती नदियों के अतिरिक्त यमुना की दो सहायक नदियाँ और थीं, जिनके नाम 'सरस्वती' और 'कृष्णगंगा' कहे जाते हैं। ये दोनों किसी समय में मथुरा के पश्चिमी भाग में प्रवाहित होकर यमुना में मिलती थीं। वर्तमान काल में ये नदियों के रुप में प्रवाहित नहीं होती हैं, किन्तु इनके अवशिष्ट रुप अब भी ब्रज में विधमान हैं। ब्रजमंडल की इन लुप्त नदियों का जो वृत्तान्त उपलब्ध होता है, वह इस प्रकार है -
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सरस्वती नदी - प्राचीन काल में मथुरा के निकटवर्ती अंबिकाबन में यह नदी प्रवाहित होती थी और यमुना में उस स्थान पर मिलती थी, जहां आजकल 'गोकर्णेश्वर महादेव' का धाट है। इस धाट को अभी तक सरस्वती संगम धाट कहा जाता है। सूरदास ने अपने एक पद में सरस्वती तट पर स्थित शिव-अंबिका की पूजा वर्णन प्रस्तुत किया है। १
१. नंद सव गोपी-ग्वाल स्मेत। गए सरस्वती तट एक दिन, शिब-अंबिका पूजा हेत। (सूरसागर पद-१८०२)
सरस्वती नदी - प्राचीन काल में मथुरा के निकटवर्ती अंबिकाबन में यह नदी प्रवाहित होती थी और यमुना में उस स्थान पर मिलती थी, जहां आजकल 'गोकर्णेश्वर महादेव' का धाट है। इस धाट को अभी तक सरस्वती संगम धाट कहा जाता है। सूरदास ने अपने एक पद में सरस्वती तट पर स्थित शिव-अंबिका की पूजा वर्णन प्रस्तुत किया है। १
१. नंद सव गोपी-ग्वाल स्मेत। गए सरस्वती तट एक दिन, शिब-अंबिका पूजा हेत। (सूरसागर पद-१८०२)
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कृष्ण गंगा नदी - प्राचीन काल में श्री कृष्ण के जन्म स्थान के निकटवर्ती भाग में बहकर यमुना में उस स्थान पर मिलती थी, जहाँ आजकल कृष्ण गंगा धाट, धारा पत्तन धाट और धंट भरण धाट है। ये धाट उक्त नदी के नाम तथा कुछ ऊँचाई से यमुना में गिरने के कारण उसके तुमुलधोष के सूचक हैं। इस समय उक्त नदी के अस्तित्व के बजाय एक नाला है, जो बरसात में बहता है। मथुरा नगर के नवीन निर्माण के कारण उसका पुराना मार्ग बदल गया है। अब वह श्री कृष्ण जन्म स्थान, मंडी रामदास और चौक बाजार के बरसाती जल को समेटता हुआ स्वामी धाट के पास यमुना में मिलता है।
तथाकथित गंगाएँ - ब्रज में कतिपय बरसाती नदियाँ तथा सरोवरों को भी गंगा कहते हैं, जो उनके निकटवर्ती स्थानों के धार्मिक महत्व का सूचक है। एसे जलाशयों के नाम इस प्रकार हैं -कृष्ण गंगा (मथुरा), मानसी गंगा (गोबर्धन), अलखगंगा (आदिबदरी कामबन), पांडव गंगा (कामबन), चरण गंगा (चरण पहाड़ी छोटी बठैन)
कृष्ण गंगा नदी - प्राचीन काल में श्री कृष्ण के जन्म स्थान के निकटवर्ती भाग में बहकर यमुना में उस स्थान पर मिलती थी, जहाँ आजकल कृष्ण गंगा धाट, धारा पत्तन धाट और धंट भरण धाट है। ये धाट उक्त नदी के नाम तथा कुछ ऊँचाई से यमुना में गिरने के कारण उसके तुमुलधोष के सूचक हैं। इस समय उक्त नदी के अस्तित्व के बजाय एक नाला है, जो बरसात में बहता है। मथुरा नगर के नवीन निर्माण के कारण उसका पुराना मार्ग बदल गया है। अब वह श्री कृष्ण जन्म स्थान, मंडी रामदास और चौक बाजार के बरसाती जल को समेटता हुआ स्वामी धाट के पास यमुना में मिलता है।
तथाकथित गंगाएँ - ब्रज में कतिपय बरसाती नदियाँ तथा सरोवरों को भी गंगा कहते हैं, जो उनके निकटवर्ती स्थानों के धार्मिक महत्व का सूचक है। एसे जलाशयों के नाम इस प्रकार हैं -कृष्ण गंगा (मथुरा), मानसी गंगा (गोबर्धन), अलखगंगा (आदिबदरी कामबन), पांडव गंगा (कामबन), चरण गंगा (चरण पहाड़ी छोटी बठैन)