गरीबों के आशियाने हटे, भू- माफिया अभी भी जमे : श्रवण कुमार
फतेहपुर। लगातार गिरते भूजल स्तर से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने सात साल पहले राज्य सरकारों को तालाबों से अतिक्रमण हटाने और नए तालाबों का निर्माण कराकर संचयित जल से भूजल स्तर नियंत्रित करने संबंधी आदेश जारी किए थे। लेकिन उत्तर प्रदेश प्रशासन ने तालाबों से अतिक्रमण हटाने में व्यावहारिक रूप से कितनी सफलता पाई है, इसके लिए फतेहपुर जिले का संदर्भ सूबे की स्थ्िति का अंदाजा लगाने के लिए काफी है।
मिले आकड़ों के मुताबिक फतेहपुर जिले में कुल छोटे-बड़े तालाबों की संख्या 26 हजार है। इनमें से अतिक्रमण से अपना अस्तित्व खोने वाले तालाबों की संख्या करीब 17 हजार है। ये वे तालाब हैं, जिन्हें अतिक्रमण करके या तो खत्म कर दिया गया या उनका क्षेत्र संकुचित रह गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इनतालाबों में से लगभग नौ हजार तालाबों से अतिक्रमण हटाया जा चुका है। अब मात्र साढे सात हजार तालाब ही अतिक्रमित हैं, लेकिन जमीनी हकीकी कुछ और ही है। तालाबों से अतिक्रमण के नाम पर उन परिवारों को हटाया गया है, जिन्होंने गांव के तालाबों के किनारे कच्ची-पक्की फूस की झोपड़ियां डाली थीं। लेकिन जिला मुख्यालाय सहित तहसील मुख्यालयों में अधिकारियों की नाक के नीचे शहरी तालाबों की भूमि पर काबिज भूमाफिया या उस पर बनी इमारतों के प्रभावशाली मालिकों पर अतिक्रमण हटाओ अभियान का कोई असर नहीं दिखता।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी तालाबों की जमीन पर दबंग व प्रभावशाली लोग आज भी काबिज हैं। गरीब और पिछड़े ही उजाड़े गए हैं। सदर तहसील के कस्बा गाजीपुर में मुख्य मार्गों से जुड़े तालाबों की बेशकीमती भूमि पर भूमाफिया और दबंगों ने कब्जा करके आलीशान मकान और दुकानें बना ली हैं। जिला मुख्या सहित तहसील व ब्लॉक मुख्यालयों और छोटे कस्बों में अपना स्वरूप खो चुके तालाबों की मुक्ति का कहीं कोई उदाहरण नहीं मिल रहा है।
राजस्व विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में अतिक्रमित तालाबी क्षेत्र के रूप में चिन्हित भूक्षेत्र 1322.700 हेक्टेयर में से अब तक 932.217 हेक्टेयर क्षेत्र ही कब्जा हटाने के लिए बचा है। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। जनपद की सदर समेत तीनों तहसीलों- फतेहपुर, खागा, बिंदगी, तेरह विकास खंडों व नगर पंचायतों सहित छोटे-छोटे गांवों में तालाबों में आज के अतिक्रमण की स्थिति यह बताने के लिए काफी है कि सात साल पहले दिया गया सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इतने समय बाद भी अनुपालन नहीं हो सका है।
जिले में तालाबों के कब्जों को हटाने का कार्य कागजों में भले ही 70 फीसद तक पूरा कर लिया गया हो, लेकिन हकीकत में प्रभावशाली भूमाफिया और दबंगों की अतिक्रमित तालाबी जमीन कहीं भी मुक्त नहीं हुई है। अतिक्रमण, हटाने के काम में आकड़ों और हकीकत, गरीब और अमीर व शहर और ग्रामीण का अंतर साफतौर पर देखा जा सकता है।