भू-क्षरण एवं जल संरक्षण
झारखण्ड में विशेषकर जहाँ भू-क्षरण की विशाल सम्सया है और प्रत्येक वर्ष उपजाऊ मिट्टी वर्षा के पानी के साथ बहकर नदी-नालों में चली जाती है, वहाँ भूमि संरक्षण के कार्यक्रम - जैसे जमीन का समतलीकरण, मेढ़ एवं सीढ़ीनुमा खेत बनाना अत्यावश्यक है । अगर उपजाऊ मिट्टी और खेत ही नहीं रहेंगे तो खेती होगी कैसे ? उसी प्रकार सिंचाई की सुविधा और सम्भावना पठारी क्षैत्रों में बहुत कम होने के कारण वर्षा के जल को जमा करके रखने और आवश्यकता पड़ने पर उसका सदुपयोग करना आवश्यक हो जाता है । इसके लिए छोटे - छोटे तालाबों का निर्माण करना होगा । उसी प्रकार तालाबों के साथ कुएँ का भी निर्माण करना होगा । ये कार्य झारखण्ड के लिए ' जलधारा ' योजना के अन्तर्गत बहुत लोकप्रिय और लाभदायक सिद्ध हुई है ।