पानी पर क्या कहते हैं महानुभाव

पानी पर किसका कितना हक, यह तय करना होगा
मेरे अब तक के सामाजिक जीवन का यह सबसे अनूठा कार्यक्रम है। आखिर यह जल किसका है। क्या यह बाजार की चीज है या जीवन का मौलिक अधिकार। जेल उस किसान को भेजा जाता है जो पानी का उपयोग करता है पर शीतल पेय बनाने वाली कम्पनियों को नहीं जो पानी के नाम पर लूट मचा रही हैं। नदियों को जोड़ने की योजना प्रकृति से खिलवाड़ करने जैसी है। इससे समाज में विभाजन होगा और भ्रष्टाचार तथा प्रदूषण बढ़ेगा। -राजेन्द्र सिंह

महत्व काम का होता है
आज-कल जल की जो कमी है वह प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के कारण उत्पन्न हुई है। सृष्टि का नियम है कि हमेशा भक्षक कम रहे हैं। रक्षक ज्यादा रहे हैं। हम अपनी तुलना विदेशों से कर रहे हैं, पर यह नहीं समझते कि वहां की जलवायु अलग है। हमने अपनी आवश्यकताओं की अति कर दी है और अब चिल्ला रहे हैं कि ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। यह गलत है। हमें जंगल, जमीन और अन्य संसाधानों के लिए भी इसी तरह की संसद करनी होगी। रास्ता हमें ही खोजना होगा। यहां आए जलयोधा अपने कार्य में लगे रहें। वे भ्रम के शिकार न बनें। अंतिम पर नजर रखें। बैनर, व्यक्ति आते-जाते रहते हैं। महत्व काम का होता है। -के.एन. गोविन्दाचार्य

पर्यावरण रक्षा के लिए तैयार रहें।
पूरे विश्व का धयान हमारी ओर है। हमें सावधान रहना होगा कि हम आंकड़ों के मायाजाल में कहीं खो न जाएं। भारत करवट ले रहा है। हम चारो धााम जाएं। तीर्थ यात्रा करें। पर, वन और वनवासियों को न भूलें। पर्यावरण की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहें। बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहें।-स्वामी अवधोशानन्द गिरी

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