जल पुन: उपयोग प्रणाली विकसित करने पर एक दिवसीय कार्यशाला

“पृथ्वी पर उपलब्ध मृदु जल धीरे-धीरे कम हो रहा है, एक समय ऐसा आयेगा जब आबादी के लिये पीने का पानी मिलना ही बहुत मुश्किल हो जायेगा। वह समय अब ज्यादा दूर नहीं हैं। पानी के प्रति यदि हमारे नजरिये में अभी भी बदलाव नहीं आया तो पानी के पीछे होने वाली लड़ाईयां और भी जल्दी शुरू हो जायेंगी। अब पानी के नये स्रोत तलाशने की ही जरूरत नहीं, जरूरत इस बात की भी है कि जो पानी उपलब्ध है उसका बेहतर उपयोग कैसे हो तथा एक दफे उपयोग में लाये गये पानी को पुन:उपयोग लायक बनाया जाय । ”
इस आशय के विचार जबलपुर संभाग के आयुक्त श्री अनिल श्रीवास्तव ने यूनीसेफ द्वारा जल पुन: उपयोग प्रणाली के सम्बंध में आयोजित कार्य शाला में व्यक्त किये । उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशाला जन चेतना जगाने का अच्छा माध्यम है। लोगों को यह ज्ञान होना जरूरी है कि पानी बचाने के सही और कम खर्चीले तरीके क्या हैं, इनका उपयोग कैसे किया जा सकता है। जल का पुन: उपयोग प्रदेश के संदर्भ में नई अवधारणा है तथा इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना जरूरी है। संभागायुक्त श्री श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग और यूनीसेफ द्वारा इस दिशा में जो प्रयास किये जा रहे हैं, वे सराहनीय हैं। उन्होंने इस कार्य के लिये प्रशासनिक स्तर पर हर संभव सहयोग देने की बात भी कही। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि ग्रामीण अंचलों की शालाओं, आश्रमों तथा अन्य ऐसे स्थान जहां बड़ी संख्या में लोग एक साथ रहते हैं, वहां नहाने-धोने से निकला पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है, जो अभी बेकार बह जाता है, उसे साफ कर अन्य कार्यों में उसका उपयोग किया जा सकता है।
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कार्यशाला में यूनीसेफ के अधिकारियों ने बताया कि जल पुन: उपयोग विधि में एक बार नहाने धोने, धुलाई, बरतन आदि धोने में उपयोग किये गये पानी को साफ कर उसे शौचालय साफ करने, भवन निर्माण, बागवानी आदि कार्यों में आसानी से लाया जा सकता है। यूनीसेफ और नीरी द्वारा डिजाइन की गयी जल पुन: उपयोग प्रणाली प्रदेश के धार और झाबुआ जिलों में 12 आश्रम शालाओं में स्थापित कर छात्रों की मदद से चलाई जा रही है। झाबुआ जिले की 40 अन्य शालाओं में और इन्दौर संभाग के प्रत्येक जिले में 12 आश्रम शालाओं और छात्रावासों में जल पुन: उपयोग परियोजनाएं प्रस्तावित हैं।
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इस एक दिवसीय कार्यशाला में संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

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