अंतरराष्ट्रीय जल संकट की चेतावनी

अगले 25 वर्षों में दो तिहाई आबादी को जल संकट का सामना

संयुक्त राष्ट्र संघ ने चेतावनी दी है कि जल संपदा का दोहन मौजूदा रफ़्तार से ही होता रहा तो 2027 तक दुनिया में 270 करोड़ लोगों को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ेगा. इनके अलावा 250 करोड़ लोगों को कठिनाई से पेयजल उपलब्ध हो सकेगा. संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जल दिवस के अवसर पर शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह चेतावनी दी है.

जल के लिए भटकना नियति है लाखों लोगों की
भावी संकट के लिए जल संसाधन के कुप्रबंधन, बढ़ती आबादी और जलवायु परिवर्तन को दोष दिया गया है. जल संकट का सर्वाधिक ख़तरा अफ़्रीका और एशिया के अर्द्ध शुष्क इलाक़ों में बताया गया है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग के अनुसार यूरोप में भी हर सातवें व्यक्ति को स्वच्छ जल नसीब नहीं है.

बेहतर जल प्रबंधन
आयोग ने विकसित देशों में बेहतर जल प्रबंधन की ज़रूरत पर बल दिया है. अंतरराष्ट्री परमाणु ऊर्जा एजेंसी के एक अध्ययन के अनुसार दुनिया में 110 करोड़ लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है. अध्ययन के अनुसार दुनिया भर में हर साल 50 लाख लोग जलजनित रोगों की भेंट चढ़ते हैं. यह संख्या में संघर्षों में मारे जाने वालों की संख्या से 10 गुना ज़्यादा है.

संघर्ष की जड़
माँग बढ़ते जाने के कारण भविष्य में जल के मुद्दे पर संघर्ष छिड़ने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा रहा. अन्नान ने कहा,"ये आशंका बढ़ी है कि जल विवादों में हिंसक संघर्षों के बीज छुपे हो सकते हैं." संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जल संकट का सर्वाधिक बुरा प्रभाव दुनिया के निर्धनतम देशों पर पड़ सकता है. उनकी खेती बुरी तरह प्रभावित हो सकती है.
इस समय दुनिया में उपलब्ध ताज़ा जल का 70 फ़ीसदी खेती में उपयोग में लाया जाता है.
साभार- बीबीसी हिन्दी

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