मथुरा को नहीं मिलेगा गंगा जल

मथुरा। आगरा में यमुना के पानी का बढ़ता जहरीलापन कम करने के लिए मथुरा का गला काटने की तैयारी की जा रही है। अब मथुरा के रास्ते यमुना में गंगा जल डालने के बजाय गोकुल बैराज के बाद सीधे आगरा के लिए गंगा जल उपलब्ध कराया जाएगा। फिलहाल यह प्रक्रिया प्रयोग के तौर पर 22 नवम्बर से पंद्रह दिन के लिए होगी। यह फैसला मंगलवार को मंडलायुक्त की अध्यक्षता में दो घंटे चली सिंचाई विभाग के अधिकारियों की बैठक में लिया गया।
ओखला बांध से यमुना नदी में रोजाना 101 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। बांध पर पानी का दबाव होने पर छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा बढ़ा दी जाती है। करीब 150 क्यूसेक गंगा जल हरनाल एस्केप से नदी में मिल रहा है। इस तरह से 251 क्यूसेक पानी यमुना नदी में आ रहा है। शेष पानी नाले नालियों के जरिए यमुना नदी में आता है। ओखला से छोड़े जाने के बाद बैराज का पानी इतना जहरीला हो जाता है कि उसमें अक्सर जलचर भी मर जाते हैं। पिछले दिनों मथुरा और आगरा में मछलियों के दम तोड़ने पर मंगलवार को मंडलायुक्त सीता राम मीणा अचानक मथुरा आये। उन्होंने गोकुल बैराज पर सिंचाई विभाग, जल निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आगरा-मथुरा के अधिकारियों के साथ बातचीत की। लगभग दो घंटे चली बैठक के बाद निष्कर्ष निकाला गया कि हरनौल एस्केप से वृंदावन के पहले यमुना में डाले जा रहे गंगा जल को गोकुल बैराज के आगे डाला जाए। बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी पत्रकारों को देते हुए मंडलायुक्त श्री मीणा ने बताया कि निचली मांट ब्रांच खंड गंगा नहर की टेल से निकलने वाले बलदेव रजवाहा के जरिए पचावर ड्रेन में गंगा जल को डालकर यमुना नदी में प्रवाहित कर दिया जाएगा। प्रयोग बतौर यह कार्य 22 नवम्बर से किया जाएगा। पहले यह प्रयोग पन्द्रह दिन तक किया जाएगा। अगर इसमें सफलता मिल गई तो आगरा को सीधे गंगा जल की आपूर्ति कर दी जाएगी। इस स्थिति में मथुरा का क्या होगा, के जबाव में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि हरनौल एस्केप से आगरा को ही पानी दिया जाना था। साभार- दैनिक जागरण

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