जल : नवजात शिशु के लिए
श्री एल.एन.वर्मा
नवजात शिशुओं के माता और पिता को कभी-कभी यह सलाह दे दी जाती है कि आपके शिशु के लिए आठ माह की उम्र तक पानी की आवश्यकता नहीं है। यह एक खतरनाक सुझाव है जो आपके बच्चे के गुर्दे (किडनी) पर प्रतिकूल असर डालता है।
जीवित रहने के लिए तीन मुख्य चीजों की आवश्यकता है-१. वायु, २. जल एवं ३. भोजन
इसमें हवा एवं जल अति आवश्यक है। इसके बिना केवल ऋषि एवं योगी ही जीवित रह सकते हैं। माँ का दूध सम्पूर्ण भोजन तो हो सकता है परन्तु यह जल एवं वायु का स्थान नहीं ले सकता।
शिशु मुख्यत: अपनी चार प्रकार की आवश्यकताओं के लिए रोता है- १. भोजन (दूध) के लिए, २. सोने या घूमने के लिए ३. दर्द के कारण एवं ४. जल (पानी) के लिए।
सामान्यत: मातायें जल्द ही रुदन को समझ लेती हैं क्योंकि शिशु के पास रोने के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं है, जिससे वह अपनी आवश्यकताओं को बता सके। यह ईश्वरप्रदत्त है।
शरीर के अन्दर लाखों कोशिकायें प्रतिदिन नष्ट एवं निर्मित होती हैं। यह आपके नवजात शिशु एवं जीव-जगत के लिये सत्य है। इन नष्टप्राय कोशिकाओं को प्रतिदिन शरीर के बाहर निकाला जाता है। यदि यह शिशु के शरीर में रह जाती है तो विषाक्त प्रभाव पैदा करती है। माँ के दूध द्वारा भी विषाक्त प्रभाव बच्चों के शरीर में पहुँचते हैं। इसी प्रकार गाय का दूध भी डी.डी.टी. व अन्य विषाक्त दवाओं से प्रदूषित खाद्य सामग्री खाने के कारण प्रभावित होता है। मातायें जो विषाक्त खाद्य पदार्थ लेती हैं उसका विषाक्त प्रभाव उनके शरीर पर तो पड़ता ही है, वह सब दूध के द्वारा शिशु के शरीर में भी पहुँच जाता है। इन मृत कोशिकाओं एवं इनके विषाक्त प्रभावों को शरीर से बाहर निकालने के लिये शिशु को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाने की आवश्यकता पड़ती है।
शरीर में पानी की कमी का असर :
हमारे शरीर में ८० प्रतिशत भाग जल है। प्रत्येक कुछ घण्टों के अन्तराल पर शरीर के अन्दर का विषाक्त प्रभाव मूत्र द्वारा बाहर निकलता रहता है। यदि पर्याप्त मात्रा में पानी शरीर में नहीं है तो शरीर में विषाक्त प्रभावों की सान्द्रता बढ़ जाती है जो गुर्दा में अवरोध उत्पन्न करती है जिसके कारण गुर्दा खराब हो सकता है। अत: इस प्रकार की नवजात शिशुओं के लिए सुझाव एक बड़ी भूल व गलत समझदारी है।
बच्चे को पानी कैसे दे :
नवजात शिशु के लिये पानी में कुछ दानें सौंफ व गोल मिर्च डालकर उबालें, छानकर ठण्डा होने पर शिशु को पिलावें। चाँदी के साफ चम्मच का प्रयोग लाभकारी होता है। यदि शिशु इसे पसन्द नहीं करता (क्योंकि शिशु इस स्वाद से अनभिज्ञ है) तो शहद की कुछ बूँदें जल में मिला कर देवें।
निवेदन :
आप भी लोगों के साथ-साथ माताओं को विशेष रूप से समझाइये कि नवजात शिशु को कभी भी पानी पिलाना बन्द न करें। इस प्रकार का सुझाव है कि `आठ माह तक पानी की आवश्यकता नहीं है', भ्रामक है तथा इसके गम्भीर परिणाम भी हो सकते हैं।
साभार- http://www.abhyuday.org