ख़ूनी नदी की शक्ल ले रही है दजला

दजला नदी से पिछले दो साल में लगभग 500 शव निकाले गए हैं
बीबीसी ने इराक़ में लोगों को मारकर दजला नदी में बहा दिए जाने की लगातार हो रही घटनाओं की जाँच-पड़ताल एक स्थानीय पत्रकार की मदद से की है. राजधानी बग़दाद से 100 किलोमीटर दक्षिण में स्थित शहर सुविरा में दजला नदी से पिछले दो साल में 500 क्षत विक्षत शव निकाले गए हैं.
माना जा रहा है कि राजधानी में लोगों की हत्या कर इन्हें दजला नदी में बहा दिया जाता है. नदी में मछली पकड़ने के लिए गए मछुआरों के जाल में हर रोज लाश उलझ जाती है.

जारी है सिलसिला

एक स्थानीय मछुआरे के अनुसार, "ये रोज की बात है. दिन में दो या तीन लाशें. इसके बाद हम उन्हें बाहर निकालते हैं और तब तक उसे प्लास्टिक बैग में रखते हैं, जब तक कि सुविरा के अस्पताल से कोई आ नहीं जाता."
सुविरा के मुख्य अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के प्रमुख कहते हैं, "अब तक हमें लगभग 500 शव मिले हैं. मृतक 20 से 45 साल की उम्र के थे और इनमें से ज़्यादातर पुरुष थे."
वो आगे कहते हैं, "अधिकतर की गोली मारकर या दूसरे तरीकों से हत्या की गई थी. ये लाशें इतनी बुरी तरह सड़ गल गई थी कि इनके पास खड़े रहना भी मुश्किल था."

शिनाख़्त

शवों की पहचान के लिए उनके आकार-प्रकार की जानकारी और फोटो प्रकाशित किए जाते हैं, लेकिन अधिकाँश को उनके नाम के साथ नहीं, बल्कि संख्या (आँकड़े) के साथ ही दफ़न करना पड़ता है. दजला में लगातार शव मिलने का ख़ौफ कदर बन गया है कि अब बग़दाद में जब भी किसी का परिचित या करीबी लापता होता है, तो लोगों को पता है कि उसकी तलाश कहाँ की जानी चाहिए. बग़दाद से बहकर यहाँ आई इन लाशों के लिए कब्रिस्तान में अलग स्थान पर दफ़नाया जाता है. लावारिश शवों को दफ़नाने से पहले उन्हें साफ़ किया जाता है, लेकिन बहुत संभलकर. कब्रिस्तान की देखरेख करने वाले अब्दुल हुसैन कहते हैं, "दफनाने से पहले हम शवों को साफ करते हैं."
वो कहते हैं, "हम शवों को पानी से भी साफ कर सकते हैं, लेकिन अक्सर ये इस कदर गल चुके होते हैं कि ऐसा संभव नहीं हो पाता."

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