तापमान में वृद्धि से बढ़े तूफान के खतरे

अमेरिका के न्यू ओरलियंस शहर में तबाह कर देने वाले कैटरीना जैसे उच्च तीव्रता श्रेणी 4 और 5 के समुद्री तूफानों की संख्या पिछले 35 वर्षों में दोगुनी हो गई है। वैज्ञानिकों ने आगाह करते हुए कहा है कि यद्यपि 1990 के बाद समुद्री तूफानों की कुल संख्या में कमी आई है लेकिन पूरी दुनिया में समुद्र सतह की तापमान वृद्धि इनकी तीव्रता में जबर्दस्त इजाफा कर रही है।
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अमेरिका के जार्जिया इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी और नेशनल सेंटर फार एटमोस्फियरिक रिसर्च ने संयुक्त रूप से 1970 से 2004 के बीच आए तूफानों की संख्या, अंतराल और तीव्रता पर विस्तृत अध्ययन किया। अध्ययन के निष्कर्ष जानीमानी विज्ञान पत्रिका ‘साइंस’ के ताजा अंक में प्रकाशित हुए हैं। अध्ययन के मुखिया पीटर वेबस्टर ने बताया कि इस शोध के दौरान उन्हें हैरान कर देने वाले आंकड़े मिले। 1970 के दशक में जहां 4 और 5 श्रेणी वाले उच्च तीव्रता के तूफानों की संख्या पूरी दुनिया में औसतन 10 प्रतिवर्ष थी वहां 1990 के बाद इनकी संख्या दोगुनी हो गई। इतना ही नहीं तूफानों की कुल संख्या में उच्च तीव्रता के तूफानों का हिस्सा भी बढ़ गया। सत्तर के दशक में जहां कुल तूफानों में इनका हिस्सा 20 प्रतिशत था वहीं पिछले दशक में यह बढ़कर 35 प्रतिशत तक जा पहूंचा। तीव्र तूफानों की संख्या में वृद्धि उत्तरी प्रशांत, दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत तथा उ त्तर व दक्षिण हिन्दमहासागर में देखी गई है। शोधकर्ताओं ने बताया कि तूफानों की तीव्रता में बढ़ोत्तरी के पीछे समुद्र सतह की तापमान वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वेबस्टर के अनुसार तूफानों की तीव्रता और समुद्र सतह के तापमान के बीच सीधा संबंध है। वे पृथ्वी के वातावरण निर्माण में तूफानों की भूमिका को जानने का भी प्रयास कर रहे हैं। बेवबस्टर मानते हैं कि तूफान समुद्री जल के वाष्पीकरण और फिर पुनर्वितरण के जरिए समुद्र के तापमान को कम करने का काम करते हैं।
हिन्दुस्तान टाइम्स (नई दिल्ली), 17 Sep.2005

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