ब्रज की सरोवरें, कुंड, ताल, पोखर

ब्रज की सरोवरें
- कवि जगतनंद के अनुसार चार सरोवर हैं जिनके नाम हैं - पान सरोवर, मान सरोवर, चंद्र सरोवर और प्रेम सरोवर।
पान सरोवर - ब्रज के नंदगाँव का यह एक छोटा जलाशय है। १
१. पान सरोवर, मान सरोवर और सरोवर चंद। प्रेम सरोवर चार ये, ब्रज में कहि जगनंद।। (ब्रजवस्तु वर्णन)

मानसरोवर - वृन्दावन के समीप यमुना के उस पार है। यह हित हरिवंश जी का प्रिय स्थल है यहाँ फाल्गुन में कृष्ण पक्ष ११ को मेला लगता है।
चन्द्र सरोवर - यह गोबर्धन के समीप पारासौली ग्राम में स्थित है। इसके समीप बल्लभ सम्प्रदायी आचार्यो द्वारा वैठकें आयोजित की जाती थीं और यह सूरदास जी का निवास स्थल है।
प्रेम सरोवर - यह वरसाना के समीप है। इसके तट के समीप एक मंदिर है। भाद्रपद मास में इस सरोवर पर नौका लीला का आयोजन और मेला होता है।

कुंड
- ब्रज में अनेक कुंड हैं, जिनका अत्यन्त धार्मिक महत्व है। आजकल इनमें से अधिकांश जीर्ण-शीर्ण और अरक्षित अवस्था में हैं, जो प्राय सूखे और सफाई के अभाव में गंदे पड़े हैं। इनके जीर्णोद्धर और संरक्षण की अत्यन्त आवश्यकता है, क्योंकि इन कुंडों के माध्यम से भूगर्भीय जल स्तर की बड़ोतरी होती है साथ-ही-साथ भूगर्भीय जल की शुद्धता और पेयशीलता बड़ती है। कवि जगतनंद के अनुसार ब्रज में पुराने कुंडों की सख्या १५९ है तथा बहुत से नये कुंड भी हैं। उन्होंने लिखा है पुराने १५९ कुंडों में से ८४ तो केबल कामबन में हैं शेष ७५ ब्रज के अन्य स्थानों में स्थित है। १
१. उनसठ ऊपर एकसौ, सिगरे ब्रज में कुंड।चौरासी कामा लाखौ, पतहत्तर ब्रज झुँड।। औरहि कुंड अनेक है, ते सब नूतन जान।कुंड पुरातन एकसौ उनसठ ऊपर मान।। (ब्रजवस्तु वर्णन)

ताल
- ब्रज में बहुत से तलाब हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं। कवि जगतनंद ने केवल दो तलाबों - रामताल और मुखारीताल का वर्णन प्रस्तुत किया है। १ इनके अतरिक्त भी बहुत से तालाब हैं, जिनमें मथुरा का शिवताल प्रसिद्ध है।
१. दोइ ताल ब्रज बीच हैं, रामताल लखिलेहु।और मुखारी ताल है, 'जगतनंद' करि नेहु।। (ब्रजवस्तु वर्णन)

पोखर
- ब्रज में अनेकों पोखर अथवा वरसाती कुंड हैं। कवि जगतनंद ने उनमें से ६ का नामोल्लेख किया है वे पोखर हैं -

(१) कुसुमोखर (गोबर्धन)
(२) हरजी ग्वाल की पोखर (जतीपुरा)
(३) अंजनोखर (अंजनौ गाँव)
(४) पीरी पोखर और
(५) भानोखर बरसाना तथा ईसुरा जाट की पोखर
(नंदगाँव) है। १ उनमें कुसुम सरोवर को ब्रज के जाट राजाओं ने पक्के विशाल कुंड के रुप में निर्मित कराया था।
१. पोखर षट् अब देखिलै, कुसमोखर जियजान। हरजी पोखर, आंजनी पीरीपोखर मान।मानोखर अरु ईसुरा पोखर कहि 'जगनंद'। ब्रज चौरासी कोस में ब्रज कौ पूरनचन्द्र।।

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