भावी पीढ़ी के लिए खतरनाक है बढ़ता रेगिस्तान

विश्व भर में गड़बड़ा रहे पर्यावरण संतुलन से प्रकृति में भी विनाशकारी बदलाव आर रहे हैं। नतीजतन दूर तक फैले हरे-भरे पहाड़ों व मैदानों का रेगिस्तान में बदल जाने का ग्राफ भी ऊपर जा रहा है। यह चौतरफा अप्राकृतिक बदलाव मानव जाति की भावी पीढ़ी के लिए एक भयानक खतरा बन सकता है। दुनिया भर में पर्यावरण को बचाने की दिशा में हो रहे प्रयासों का जिक्र करें तो भारत पारिस्थिकीय संतुलन को बनाए रखने में अभी काफी पीछे है। देश में पर्यावरण को एक तरफ कर महज आर्थिक विकास की गति को प्राथमिकता दी जा रही है।
.
संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के हर भाग में शुष्क भूमि के हिस्से का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। कुल भूमि का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा शुष्क भूमि में तब्दील हो चुका है। इसी के मद्देनजर इस साल सोमवार को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर होने वाले विभिन्न आयोजनों में बढ़ते रेगिस्तान को चर्चा का मुख्य विषय बनाया गया है। इस मौके पर मुख्य अंतर्राष्ट्रीय समारोह अल्जीरिया में होगा।
.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव कोफी अन्नान ने विश्व पर्यावरण दिवस पर अपने संदेश में कहा है कि बढ़ते मरुस्थलीकरण पर रोक लगाना नितांत जरूरी है। उन्होंने दुनिया भर की सरकारों एवं समुदायों से रेगिस्तानी इलाकों में रह रहे लोगों के जीवन के समक्ष पेश चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की है।
.
इन आयोजनों से अलग भारत में भूमि के मरुस्थलीकरण की वस्तुस्थिति पर नजर डालें तो देश में इस समय 54 लाख हैक्टेयर भूमि बेकार पड़ी है। इसमें से 36 लाख हैक्टेयर भूमि धीरे-धीरे बंजर होती जा रही है। ‘सेंटर फार एनवायरमेंटल ला एंड पालिसी’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पर्यावरण और पारिस्थितिकी के संरक्षण से जुड़े प्रयासों में भारत का प्रदर्शन अपेक्षा से कहीं कम है। पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (ई.पी.आई) में 133 देशों के बीच भारत 118वें स्थान पर है जबकि चीन 94वें, श्रीलंका 67वें व पाकिस्तान 127वें स्थान पर है।
.
रिपोर्ट के अनुसार न्यूजीलैंड, स्वीडन, फिनलैंड, चेक गणराज्य, ब्रिटेन व आस्ट्रेलिया इस सूची में शीर्ष पर आने वाले देशों में शामिल है। अमेरिका का स्थान 28वां है।
रिपोर्ट में सेंटर के निदेशक डा. डेनियल सी.एस्टी ने कहा है कि भारत पर्यावरण पर ध्यान दिए बिना आर्थिक विकास की तरजीह दे रहा है।
.
उधर, वन विभाग के महानिदेशक जे.सी. काला का दावा है कि देश के वन क्षेत्र में कुछ वृद्धि हुई है। उन्होंने देश में वनों के समुचित विकास के लिए वर्तमान में निर्धारित 1600 करोड़ रुपये का निवेश बढ़ाकर 8000 करोड़ करने की जरूरत बताई है। दैनिक जागरण (देहरादून), 05 June 2006

Hindi India Water Portal

Issues