धमतरी अंचल में बिना अनुमति खुद रहे हैं बोर

छत्तीसगढ़ समाचार :
धमतरी, 4 दिसंबर। जल की महत्व को अच्छी तरह समझ लेने के बाद भी समाज में इसके संरक्षक संवर्धन और उपयोग के प्रति जागरूकता नहीं आई है वहीं दूसरी ओर शासन प्रशासन के द्वारा जल संरक्षण व संवर्धन हेतु जो अनेक योजनाएं एवं कार्यक्रम बनाए गए हैं। विभाग व बोर्ड गठित किए गए हैं। उनके जिम्मेदार अधिकारियों-कर्मचारियों का रवैय्या भी जल संरक्षण संवर्धन के प्रति बेहद उदासीन और कागजी खानापूर्ति करने सेमीनार गोष्ठियां करने तक सीमित नजर आता है। जमीनी धरातल पर जल संरक्षण हेतु सतत चलने वाला प्रयास कहीं नजर नहीं आता। जलसंरक्षण हेतु अनेक कानून नियम केन्द्र एवं राज्य सरकारों ने बना रखे हैं, लेकिन ना तो कहीं उनका क्रियान्वयन होता दिखाई देता और ना पालन। सर्वाधिक लापरवाही भूजल के प्रति नागरिक एवं शासन के जिम्मेदार अधिकारी कर रहे हैं. बिना सोचे समझे विशेषज्ञोँ की सलाह और जिला प्रशासन को अनुमति के बिना भूजल का व्यापक दोहन गहरे नलकूप खनन करके लोग युध्द स्तर पर कर रहे हैं।
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धमतरी जिला के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रो प्रतिदिन चप्पे –चप्पे में बिना जिला कलेक्टर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की स्वीकृति के नलकूपों का खनन, नागरिकों एवं किसानों द्वारा खुले आम किया जा रहा है। एक जनहित याचिका पर फैसला और निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट में भी के.द्रीय भूजल बोर्ड को यह आदेश कुछ वर्षों पूर्व दे रखा है कि बिना जिला कलेक्टर को अनुमति से किसी को नलकूप खनन कर भूजल का दोहन ना करने दिया जाए। नल कूप खनन के लिए नगर निगम और नगर पालिका से भी अनुमति लेना आवश्यक होता है, लेकिन यह जानकारी आश्चर्य होता है और समस्त जिम्मेदार अधिकारियों एवं विभागों की लापरवाही भी उजागर होती है कि वे आंख मूंदकर बिना अनुमति के लिए हुए नलकूप खनन करने वालों को जहां चाहें वहां गहरे से गरहे नलकूप खोदने दे रहे हैं। एक नलकूप खनन के बाद दूसरी कितनी दूरी में खोदा जाए इसकी भी दूरी शासन ने तय कर रखी है। लेकिन इसका पालन कोई नहीं करता। नियमानुसार एक नलकूप जहां खोदा जा चुका है वहां से 150 मीटर के दायरे में जिला प्रशासन पी.एच.ई. एवं नगर पालिका की ओर से आजड तक बिना अनुमति के नलकूप खनन करने वालों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उल्लेख्नीय है कि धमतरी के जिला बनने के बाद आजकल किसी नागरिक ने कलेक्टर पी.एच.ई. नगरपालिका के दफ्तर में नलकूप खनन की स्वीकृति प्राप्त करने आवेदन नहीं दिया। बिना स्वीकृति के नगर के विभिन्न वार्डों में और जिले के गांवों में हजारों नल कूपों का खनन हो गया।
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अंधाधुंध बेतरतीब नलकूप खनन से भूगर्भ का जल स्तर घटता जा रहा है। जिले में तीन-तीन चार-चार फसल लेने की होड़ में ग्रामीण क्षेत्रो में थोड़ी -थोड़ी दूरी पर मनमाने नलकूप खोदे जा रहे हैं। इससे दिन पर दिन भूजल गहराई में पहुंचता चला जा रहा है और अधिक गहराई से पानी खींचने की होड़ सी मची हुई है। आज से कुछ वर्षोँ पूर्व तक जहां 40-50 या अधिक से अधिक सौ फीट की गहराई तक नलकूप खनन से भरपूर पानी प्राप्त हो जाता था वहीं आज स्थिति यह है कि दो से तीन सौ फीट नलकूप खनन करने पर भी पानी ठीक से प्राप्त नहीं हो रहा है। भूजल वैज्ञानिको एवं पर्यावरण विद्वानों के अनुसार यदि यही रफ्तार अधिक गहराई तक खनन करके भूजल दोहन की रही तो तो जो आजतक ततव (खनिज) आर्सानिक पानी की सतह में नीचे होता है वह पानी के साथ नलकूप से बाहर आगे। हवा के साथ यह जहरीला आर्सानिक घुलेगा, विघटित होगा और मानसून आने पर जब पानी पुन: विघटित होगा और विघटित आर्सानिक के संपर्क में आएगा तब वह पानी में पूरी तरह घुलने लगेगा। धमतरी जिला प्रशासन पी.एच.ई. नगर पालिका एवं अन्य जिम्मेदार अफसरों की यह जवाबदेही होती है कि वह बिना अनुमति के खनन करने वालों पर कार्रवाई करे। और उस पर नजर रखे। विदित हो कि वर्ष 2001 में ता.कालीन धमतरी कलेक्टर ने समाचार पत्रो में विज्ञप्ति जारी कर निजी बोर खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने के निर्देश दिए और चेतावनी दी थी कि न.पा. क्षेत्र में यदि कोई निजी बोर खनन करते पाया जाएगा तो मुख्य न.पा. अधिकारी द्वारा उसके खिलाफ कार्रवाई की जावेगी। कलेय्टर की उक्त चेतावनी एवं प्रतिबंध के बावजूद भी दर्जनों नलकूप खनन खुलेआम होते रहे और आज भी हर मोहल्ले में गली-गली में हो रहे हैं। ना तो जिला कलेक्टर और नगरपालिका के अधिकारी किसी तरह की कोई कार्रवाई बिना स्वीकृति के नलकूप खनन करने वालों पर कर रहे हैं।
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