“लेके रहेंगे अपना पानी” के बाद ................अगले कदम

यह पुस्तक “लेके रहेंगे अपना पानी” अपने आप में एक उत्पाद मात्र नहीं है, न ही यह बस एक बौद्धिक व्यायाम भर है, बल्कि यह पुस्तक सामूहिक रूप से सीखने की एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया का हिस्सा है जिसका उद्देश्य जनतांत्रिक, न्यायपूर्ण, सार्वजनिक जल संसाधनों को ताकत देना है। हम सच्चे दिल से आशा करते हैं कि यह पुस्तक दुनिया भर के तमाम लोगों के लिए प्रेरणास्रोत तो बनेगी ही साथ ही यह पुस्तक में उठाये गये उन सभी महत्वपूर्ण सवालों पर चर्चा के साथ-साथ अनुभवों की भागीदारी को भी और आगे बढायेगी।
हमें आशा है कि नागरिक समाज के कार्यकर्ता और नागरिक इस बात पर ज्यादा से ज्यादा धयान देंगे कि सार्वजनिक सुविधाएं किस तरह दी जाती हैं। हमें यह भी आशा है कि ऐसी सार्वजनिक सुविधाएं, जो गरीब के वास्तव में काम आ सकें, सुनिश्चित करने के लिए बातचीत करने और उस पर अमल करने के काम में श्रम संघ अपना योगदान करेंगे। इस प्रक्रिया में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रबंधकों और जल विशेषज्ञों को साथ लेना होगा जिनमें से अनेक जनकेंद्रित सार्वजनिक जल के लिए सामने आ रहे अंतर्राष्ट्रीय अभियान गठबंधनों में पहले से काम कर रहे हैं।
हमारे साझा संसाधनों और बुनियादी मानव अधिकारों को निजी कंपनियों को सौंप देने का प्रयास करने वाली ताकतों का प्रतिरोध करने में हमारी सर्वश्रेष्ठ प्रेरणा है विकल्प। हमें आशा है कि यह पुस्तक उन सबको उपयोगी उपकरण प्रदान करेगी जो कारपोरेट प्रेरित जल निजीकरण को रोकने और सार्वजनिक जल को वापस लेने के लिए संघर्षरत हैं।

“लेके रहेंगे अपना पानी” से पाठ 4...............
वेब प्रस्तुति- मीनाक्षी अरोड़ा
साभार-इंसाफ

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