अभियानों की प्रतिक्रिया: पानी के निजीकरण के विरुद्ध अभियान पूरी दुनिया में

पानी के निजीकरण के विरुद्ध अभियान पूरी दुनिया में चल रहे हैं। पोलैंड और पनामा जैसे एक दूसरे से एकदम भिन्न देशों में नगरपालिका से राष्ट्रीय स्तर तक के चुनावों में निजीकरण एक केंद्रीय मुद्दा रहा है। ये अभियान खास ढंग से व्यापक जनाधार वाले हैं और उनमें विभिन्न समूह शामिल हैं-यूनियनें, पर्यावरणवादी, उपभोक्ता, व्यापारी परिषदें (फिलीपींस में निजीकरण के बाद होने वाली मंहगाई के कारण उद्योगपतियों ने निवेश वापस लेने की धमकी दी है), महिलाओं के संगठन (उदाहरण के लिए जिन्होंने उक्रेन के क्रीमियायी क्षेत्रमें पानी के निजीकरण के विरोध का नेतृत्व किया था), राजनीतिक दल और धार्मिक निकाय।

इन अभियानों ने प्राय: उन निकायों को एकताबद्ध किया है जो सामान्यतया एक दूसरे के विरुद्ध संघर्षरत रहते हैं। पोलैंड में प्रतिद्वंद्वी श्रम संघ संगठनों ने कंधो से कंधा मिलाकर लोद्ज में पानी के निजीकरण के विरुद्ध सफलतापूर्वक अभियान चलाया। उत्तरी आयरलैंड में आयरलैंड के राष्ट्रवादियों और ब्रिटेन के संघवादियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दल पानी के निजीकरण विरोधी अभियान में साथ-साथ बैठते हैं जबकि राजनीतिक कार्यकारी निकायों में वे मिलकर काम करने से इन्कार करते हैं।

इस विरोध के कारण भी अनेक हैं। एक कारण है निजीकरण के बाद आसमान छूती महंगाई का अनुभव। एक अन्य कारण है नौकरियां खोने और श्रम संघों के कमजोर होने का डर। एक और कारण किसी निजी कम्पनी की विश्वसनीयता और किसी नगरपालिका की तुलना में उसे प्रभावित करने अथवा उसकी पड़ताल करने में सामने आने वाली कठिनाई से जुड़ा है। एक चौथा कारण यह विश्वास है कि एक पर्यावरणीय वस्तु और सार्वजनिक सेवा दोनों रूपों में पानी सार्वजनिक क्षेत्र की चीज है। अंत में, एक मान्यता यह भी है कि जलापूर्ति सेवाओं का विकास करने के सामाजिक आर्थिक कारणों के लिए किसी सार्वजनिक प्राधिकरण की प्रतिबद्धता की जरूरत है न कि उन निजी इकाइयों की जिनका ध्यान अपनी मुनाफा दर पर ही केंद्रित रहता है।

ये अभियान विकसित और विकासशील दोनों तरह के देशों में हुए हैं। यहां तक कि इंग्लैण्ड में भी पानी के निजीकरण के विरुद्ध एक शक्तिशाली अभियान चला था जिसने थैचर को चुनाव हो जाने तक निजीकरण को टालने पर मजबूर कर दिया था।

“लेके रहेंगे अपना पानी” से पाठ 7...............
वेब प्रस्तुति- मीनाक्षी अरोड़ा
साभार-इंसाफ

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