संत रविदासनगर में भी जमीन फटी

प्रदेश में सूखाग्रस्त बुंदेलखंड इटावा, कानपुर, इलाहाबाद, प्रतापगढ़ और लखनऊ के बाद अब संतरविदासनगर जिले में जमीन फट गई है। जानकारी के अनुसार जिले के सोनपुर, अमवा, माफी और इटेहरा गांवों में पिछले तीन दिन में हुई जमीन फटने की घटनाओं से सनसनी फैल गई है। सूचना मिलने पर वरिष्ठ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने इन गांवों का दौरा किया तथा ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि इस घटना से घबराने की कोई जरूरत नहीं हैं।

450 विकासखंडों में भूजल स्तर खतरे की हद से नीचे

विशेषज्ञों का मानना है कि जमीन फटने की घटनाएं भूगर्भ जल के अधिक दोहन की वजह से हो रही है। इसके मद्देनजर राज्य सरकार वर्षा जल के संरक्षण और भूजल के अत्यधिक दोहन को रोकने के लिए जल्दी ही एक कानून बनाने की अपनी मंशा का मंगलवार को इजहार कर चुकी है। गौरतलब है कि जिले के सोनपुर और अनंगपुर गांव में दो साल पहले भी जमीन फटने की घटना हुई थी। इस बीच राज्य के करीब 25 स्थानों पर अब तक जमीन फटने की घटनाएं हो चुकी है।

इनमें से तेरह स्थान हमीरपुर जिले में है। इसके पूर्व राज्य का भूगर्भ जल विभाग पेयजल की किल्लत की आशंका के मद्देनजर पहले ही कृषि कायों के लिए भूगर्भ जल के अधिक दोहन को रोकने की सलाह दे चुका है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि राज्य के 72 जिलों के 822 विकासखंडों में से 450 विकासखंडों में भूगर्भ जलस्तर खतरे की हद तक नीचे जा चुका है। केन्द्रीय भूगर्भ जल विभाग तथा उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल विभाग द्वारा हाल में कराए गए संयुक्त सर्वेक्षण में पता चला है कि राज्य के 13 जिलों के 22 विकासखंडों में भूगर्भ जल का अधिक दोहन हो चुका है। इसके अलावा, 29 जिलों के 75 विकास खंडों में भी हालात खराब हो चुके हैं। आगरा-चम्बल पट्टी में भूगर्भ जल का स्तर 60 फीट से नीचे जा चुका है।
एजेंसी
लखनऊ, 20 जून

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