भूगर्भ जल संकट पर गोष्ठी में भाग ले : उत्तर प्रदेश शासन


प्रिय महोदय,
संपूर्ण विश्व में जल एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन, एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता और एक बहुमूल्य सम्पदा है। इसीलिये विकास एवं नियोजन की प्रक्रिया में जल को एक निर्णायक मौलिक घटक माना गया है। यदि पूरे विश्व की जल सम्पदा का परिदृश्य देखें तो पृथ्वी पर उपलब्ध समस्त जल में 97.3% भाग समुद्री व खारा है। शेष 2.7% जल में से भी मात्र 0.7% जल ही उपयोग में लाने योग्य है। भारत वर्ष को लें तो यहाँ विश्व की 16% आबादी है जबकि विश्व के सापेक्ष देश का क्षेत्रफल 2.45% है तथा जल भंडारण की दृष्टि से देश में विश्व के जल संसाधन का 4% ही उपलब्ध है अर्थात उपयोग में लायी जाने सतही जल व भूगर्भ जल के रूप में उपलब्ध जल सम्पदा सीमित है।

2- सादर विदित हो कि गंगा बेसिन क्षेत्र में बसे उत्तर प्रदेश राज्य को जल संसाधन की दृष्टि से धनी माना गया है किन्तु विगत 2-3 दशकों में विशेष रूप से भूगर्भ जल की मांग कृषि, पेयजल व औद्योगिक क्षेत्र में जिस गति से बढ़ी है, उससे अनेक क्षेत्रों में भूजल के अति दोहन की स्थिति उत्पन्न हो गयी है। परिणाम स्वरूप अनेक क्षेत्रों में भूगर्भ जल स्रोत दबाव में आ गये हैं और जल स्तर में अत्यधिक गिरावट परिलक्षित हो रही है जिससे हैण्डपम्प, नलकूप व बोरिगें कम पानी दे रही हैं अथवा असफल होती जा रही हैं।

3- राज्य भूगर्भ जल विभाग के आंकलन के अनुसार वर्तमान में प्रदेश के 37 विकास खण्ड अतिदोहित, 13 विकास खण्ड क्रिटिकल व 88 विकास खण्ड सेमी क्रिटिकल श्रेणी में वर्गीकृत किये गये हैं। बुन्देलखण्ड, विन्ध्य के पठारी क्षेत्रों में तो भूगर्भ जल की उपलब्धता ही काफी कम है। भूगर्भ जल संकट की इस स्थिति के समाधन हेतु विभाग द्वारा 36 जनपदों में स्थित 141 समस्याग्रस्त विकास खण्डों को चिन्हित किया है जिनको अलग-अलग प्राथमिकता वाली 4 श्रेणियों के अन्तर्गत वर्षा जल संचयन एवं भूगर्भ जल रिचार्ज हेतु सीमांकित किया गया है।
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4- इन चिन्हित विकास खण्डों की सूची संलग्नक-1 पर दृष्टव्य है। शासन द्वारा इन सभी विकास खण्डों में भूगर्भ जल संरक्षण व रेनवाटर हार्वेस्टिंग की कार्ययोजना प्राथमिकता पर बनाये जाने का निर्णय लिया गया है। इन कार्य योजनाओं का प्रारूप/प्रस्ताव तैयार होने के बाद जनपद स्तर पर क्रियान्वयन सम्बन्धी कार्यवाही की जायेगी। इन क्षेत्रों में उक्त कार्ययोजना के प्रस्ताव एवं रणनीति हेतु आपके सुझावों की भी अत्यन्त आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से दिनांक 02 अगस्त 2006 को उ०प्र० आवास एवं विकास परिषद, लखनऊ के सभागार में संलग्न कार्यक्रम के अनुसार एक विचार गोष्‍ठी का आयोजन किया गया है। इस संगोष्ठी में समस्याग्रस्त क्षेत्रों के मा० विधायकगण, संबंधित जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी एवं भूगर्भ जल विभाग के अधिकारी भाग लेंगे तथा प्रदेश स्तर पर संबंधित विभागों यथा-भूगर्भ जल विभाग, लघु सिचाई विभाग, कृषि विभाग, भूमि संरक्षण विभाग, जल निगम, वन विभाग, ग्राम विकास विभाग के विभागाध्यक्ष भी भाग लेंगे।
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5- आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया गोष्ठी में भाग लेकर अपने विचारो एवं सुझावों से हमें लाभान्वित करने की कृपा करें।
संलग्नक : यथोक्त।
भवदीय,
(अरूण आर्या)
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श्री आर०एस०जुरैल,मुख्य अभियन्ता, लघु सिंचाई विभाग,उ०प्र०, लखनऊ।
श्री एम०एम० अन्सारी,निदेशक, भूगर्भ जल विभाग, उ०प्र०, लखनऊ।

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