टेरी रिपोर्ट की महत्वपूर्ण बातें


कालाडेरा के कोकाकोला प्लांट के बारे में टेरी रिपोर्ट की महत्वपूर्ण बातें

2004 में कोकाकोला कंपनी के खिलाफ इंटरनेशनल-कैम्पेन ने कंपनी को इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि वह भारत में अपने कोल्डड्रिंक और बोतलबंद पानी कारोबारी प्लांटों के स्वतंत्र आकलन की सहमति दे। टेरी द्वारा किए गये मूल्यांकन में कोकाकोला के भारत के पचास प्लांटों में से छह का मुआयना किया गया। इतने से ही यह बात प्रमाणित हो जाती है कि कोकाकोला कंपनी पहले से ही मौजूद समस्या पानी की भयानक कमी को और बढ़ाने के साथ ही जल-प्रदूषण के लिए भी उत्तरदायी है, इसी बात को कालाडेरा और वाराणसी के स्थानीय समुदायों के लोग भी लम्बे समय से कहते आ रहे हैं।
भारत में टेरी द्वारा आयोजित आंकलन में महसूस किया गया है कि कालाडेरा में जारी कोकाकोला के कार्यों से पानी की स्थिति लगातार बद से बदतर होती रहेगी और आसपास के समुदायों पर दबाव बना रहेगा।
इस रिपोर्ट में कालाडेरा कोकाकोला प्लांट के लिए चार सिफारिशें की गयी हैं:-

1. सबसे नजदीक के किसी जलाशय से पानी परिवहन करके ले आए। ( जो ढूँढना बहुत कठिन हैं )
2. जिन दिनों लोगों को पानी की कम जरूरत रहती हो, उन दिनों जल-भंडारण करे ( शायद मौजूद नहीं है! )
3. अधिशेष जल-क्षेत्र ढूँढ कर प्लांट वहां ले जाए। (जो राजस्थान में ढूँढना बहुत कठिन है)
4. प्लांट बंद करे।

कालाडेरा कोकाकोला प्लांट के बारे में टेरी-रिपोर्ट के कुछ अन्य महत्वपूर्ण निष्कर्ष:-1. 1998 में केन्द्रीय भूजल बोर्ड द्वारा कालाडेरा क्षेत्र को डार्क-जोन के रूप में घोषित किया गया था इसके बावजूद कोकाकोला ने अपना प्लांट यहीं लगाने का निश्चय किया और 2000 में काम भी शुरू कर दिया। जब कोकाकोला कंपनी को पहले से ही यह मालूम था कि कालाडेरा में पानी की समस्या है तो उसने अपना प्लांट जानबूझकर वहां क्यों बनाया?
2. कोकाकोला ने 'पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन' का साथ देने से भी मना कर दिया जो प्लांट लगाने से पहले, पानी पर्यावरण और समुदाय पर पड़ने वाले उसके प्रभावों का अध्ययन कर रहा था।
3. कोकाकोला के कोल्डड्रिंक और बोतलबंद पानी का उत्पादन अप्रैल-मई और जून के महीनों में चोटी पर होता है- यानी कि कोकाकोला ऐसे समय में सबसे अधिक मात्रा में पानी का दोहन करती है जब स्थानीय समुदाय के पास कम से कम मात्रा में पानी उपलब्ध होता है।
4. कोकाकोला जल संरक्षण के लिए वर्षा जल संचयन पर ही सबसे ज्यादा निर्भर है। लेकिन चूंकि वर्षा बहुत कम होती है, इसलिए जल-पुनर्भरण के लिए किए जा रहे कामों की सार्थकता की संभावना बहुत महत्व की नहीं होती है।
5. टेरी की टीम ने दौरा करके कोकाकोला के वर्षा जल-संग्रहण ढांचों को भी देखा और पाया कि वे 'जीर्णशीर्ण' ही हैं, बहुत काम के नहीं हैं।
6. राजस्थान जल नीति-1999 इस बात की जोरदार आवाज में वकालत करती है कि विभिन्न क्षेत्रों में जल संसाधनों का बंटवारा 'आर्थिक और विवेकपूर्ण' आधार पर किया जाना चाहिए जिसमें सिंचाई, उर्जा उत्पादन और उद्योगों को पेयजल आपूर्ति पहली प्राथमिकता के आधार पर होनी चाहिए।
7. इस आकलन में पाया गया है कि कोकाकोला के लिए अपने कारोबार (मुनाफा) की निरंतरता ही उसके लिए प्राथमिकता रही है, समुदाय के लिए पानी के मुद्दों और समस्याओं की उपेक्षा हुई है।

अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें www.indiaresource.org या ईमेल info@indiaresource.org से सम्पर्क करें।

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