नदियों के बहाव का समुचित उपाय हो

नर्मदा घाटी के परिक्रमा पथ तथा उस पर यात्रियों के लिए सुविधाओं के निर्माण हेतु संबंधित विभागों के अधिकारियों की समिति गठित की गई है. परिक्रमा पथ के निर्माण के लिए यह समिति कार्य योजना तैयार करेगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में नदियों के संरक्षण की दिशा में भी निर्णय लिए गए. गौरतलब है कि नर्मदा विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है, जिसकी परिक्रमा की जाती है, इसलिए नर्मदा नदी एक सांस्कृतिक धरोहर भी है. इसे प्रदूषण रहित बनाने से परिक्रमावासियों का कष्ट भी दूर होगा और सरकार के इस निर्णय को क्रियान्वित होने के बाद इसका असर दूरगामी होगा.
चौहान ने कहा कि राज्य में नदियों के संरक्षण का कार्य बड़े पैमाने पर होगा और इसकी शुरुआत नर्मदा नदी से प्रारंभ की जाएगी. प्रस्तावित परिक्रमा मार्ग के किनारे यात्रियों एवं परिक्रमावासियों के रुकने तथा भोजन आदि बनाने के लिए सुविधाजनक निर्माण कार्य भी प्रस्तावित है. यह निर्णय भी सराहनीय है कि कम खर्च में पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखते हुए सुविधाजनक निर्माण कार्य किये जाएं तथा नर्मदा किनारे हरियाली के लिए पेड़ लगाने की योजना तैयार की जाए. इससे नदी के किनारों पर भूमि के क्षरण पर रोक लगेगी.
नर्मदा नदी को लेकर सरकार के प्रयास का स्वागत है, लेकिन अन्य नदियों के संरक्षण-संवर्धन पर भी ध्यान देना उतना ही जरूरी समझा जाना चाहिए. नर्मदा प्रदेश की जीवन रेखा है तो अन्य नदियों की क्षेत्रीय स्तर पर जीवनदायिनी की भूमिका है. कई नदियों से भी नर्मदा को पानी मिलता है, लेकिन नदियों के बहाव पर भी ध्यान देने की जरूरत है. बारिश के दिनों में नदियों में पानी रुके इसकी समुचित व्यवस्था न होने से नदियां कुछ ही दिनों में खाली हो जाती हैं.
इसके मुकम्मल उपाय निकालने होंगे. इसके साथ ही नदियों के किनारे पेड़ लगाने की प्रवृत्ति भी विकसित करनी होगी. साथ-साथ उन्हें प्रदूषित होने से भी बचाना होगा. गांवों और नगरों के आसपास नदियों का प्रदूषण अत्यधिक है. कई महत्वपूर्ण नदियां तो अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं. इसका आकलन कर अगर कार्य योजना बनाई जाए तो बेहतर परिणाम मिल सकते हैं. नदियों के संरक्षण-संवर्धन को लेकर सरकार की गंभीरता अच्छी बात है. इस पर अगर निष्ठापूर्ण और ईमानदार तरीके से काम हो तो इसमें कोई शक नहीं कि इसके बेहतर परिणाम मिलेंगे.
साभार-नवभारत भोपाल

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