19 सैंटीमीटर की गिरावट सिर्फ दो वर्षों में

अभिषेक सभ्रवाल

पानी को बचाने के लिए बारिश के पानी की रीचार्जिग बहुत जरूरी है। कारपोरेशन को चाहिए कि वह उसी मकान का नक्शा पास करे जिसमें रीचार्जिग सिस्टम लगाया हो। इससे जमीन के नीचे पानी का स्तर सही हो जाएगा।
डॉ. जगीर सिंह, मंडल अधिकारी, भूमि और जल विभाग।


पंजाब की हालत दिन प्रतिदिन काफी खराब होती जा रही है। जालंधर, पंजाब में 10 सालों में पानी का स्तर लगातार गिरा है। स्थिति इतनी भंयकर हो चुकी है कि अगले 10 सालों के बाद खेती तक के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलेगा, जबकि डर सता रहा है कि कहीं मात्र 15 साल में ही प्रदेश रेगिस्तान न बन जाए। ये हुआ है घरों के साथ-साथ खेतों में भी होती पानी की वेस्टेज से। प्रदेश की मालवा वैल्ट के कुछ गांव अभी से पानी कम होने व खराब होने का दर्द झेल रहे हैं। यहां जमीन के नीचे का पानी खारा हो चुका है और खेती तक के योग्य नहीं रहा। वहीं दोआबा में भी पानी की स्थिति बिगड़ती जा रही है।
2 साल में 19 सैंटीमीटर की गिरावट
पंजाब एग्रीकल्चर डिपार्टमैंट की तरफ से किए गए सर्वे के अनुसार गत 2 सालों में 74 सैंटीमीटर पानी जमीन से नीचे चला गया है, जबकि उससे 10 साल पहले पानी के नीचे जाने की स्थिति 55 सैंटीमीटर थी। यानि दो साल में कुल 19 सैंटीमीटर की गिरावट आई है। पानी के नीचे जाने की रफ्तार लगातार बढ़ रही है।
पंजाब में पिछले कई सालों में पूरी तरह से मानसून नहीं पड़ने के कारण पानी का स्तर काफी नीचे जा चुका है। पिछले 10 सालों में 46 प्रतिशत ही बरसात हुई है, जबकि पिछले साल यह 70 प्रतिशत मापा गया। भूमि और जल विभाग के मुताबिक इस साल भी बारिश कम होने की संभावना है।
किसानों के लिए स्कीम
पानी को बचाने और ज्यादा पैदावार के सरकार ने कई नई स्कीमें शुरू की हैं, जिनमें माइक्रो इरिगेशन स्कीम है। इसमें माइक्रो स्प्रिंकलर, ड्रिप सिस्टम, स्पिंकलर या ओवरहैड शामिल है। ये स्कीमें किसानों को बेहतर पैदावार व पानी की बचत के लिए शुरू की गई हैं। इनके इस्तेमाल से 50 से 70 प्रतिशत पानी की बचत होती है, जबकि लेजर लैवलिंग सिस्टम से सिंचाई करने से पानी की 25 से 30 प्रतिशत बचत होती है।
राज्य में लगभग 10 लाख ट्यूबवैलों से सिंचाई हो रही है, जिसकारण जमीन के नीचे का पानी काफी नीचे जा चुका है। इस संख्या में सैंट्रल डिस्ट्रिक्ट आते हैं यहां इनकी संख्या ज्यादा है इनमें से जालंधर, लुधियाना, कपूरथला, मोगा, नवांशहर। ट्यूबवैल के कारण पानी नीचे जाने के बाद समरसीबल लगाए हैं जो 250 से 300 फुट तक पानी खींचते हैं जिसकारण पानी खत्म हो रहा है। पानी की ज्यादा लागत धान की खेती करने में होती है। इसकी बचत के लिए सरकार ने 20 जून से धान की फसल लगाने को कहा है, ऐसा न करने पर जुर्माने का भी प्रावधान है। मई में धान उगाने से पानी 70 सैंटीमीटर नीचे जाता है जबकि 20 जून को लगाने से 10 सैंटीमीटर पानी ऊपर आता है।
सरकार ने धान की फसल को जून में उगाने के लिए कई बढ़िया स्कीमें शुरू की है,ं जिसके लिए डिपार्टमैंट हर गांव में जाकर पानी बचाने का संदेश दे रहा है। उन्हें ब्राशर बांटे जा रहे हैं, कैसेट चलाकर बताया जा रहा है। पानी की स्थिति पंजाब में बहुत खराब हो रही है अगर ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पंजाब रेगिस्तान में तबदील हो जाएगा।
- डॉ. स्वतंत्र कुमार, चीफ एग्रीकल्चर ऑफिसर, एग्रीकल्चर डिपार्टमैंट
पानी का दुरुउयोग करने वाले इंसान को सजा होनी चाहिए। किसानों को फसली चक्र से निकल कर सब्जियों की बिजाई करनी चाहिए। पानी को अगर बचाना है तो सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
- निरंजन सिंह, हैड ड्राफ्ट्समैन, भूमि और जल विभाग, पंजाब

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